बाड़मेर पत्रिका.
अग्निपीडि़तों के ऑन लाइन आवेदन की पीड़ा का अभी प्रशासन पूरी तरह से हल नहीं कर पाया है और मजदूरों के बेटे-बेटियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में भी बेहाल स्थितियां सामने आ रही है। यहां 1 लाख 29 हजार 992 ने आवेदन किया और 73757 के आवेदन निरस्त हो गए है और 20206 के लंबित पड़े है। यानि महज 35 हजार के करीब को ही मदद मिल पाई है, जो आवेदन का 20 प्रतिशत से भी कम है। ऑनलाइन पर मॉनीटरिंग का अभाव यह हालात बना रहा है।
मजदूरों के पुत्र-पुत्रियों के लिए निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल योजना संचालित हो रही है,जिसमें छठी कक्षा से उच्चतर शिक्षा,डिप्लोमा व पढ़ाई के लिए सरकारी मदद है। छात्रवृत्ति के रूप में मिल रही यह मदद मजदूर के दो बच्चों और पत्नी को भी देय है। सरकार की मंशा है मजदूर के होनहार बच्चे आर्थिक स्थिति को लेकर पढ़ाई या अपना लक्ष्य नहीं छोड़े। इसके लिए बजट का प्रावधान भी पूर्ण है और आवेदन की प्रक्रिया पूरी होते ही उसको छात्रवृत्ति देय है।
ऑन लाइन प्रक्रिया मॉनीटरिंग नहीं
असल में यह कार्य अब ऑन लाइन किया गया है और यहां से परेशानी शुरू हो गई है। ऑन लाइन प्रक्रिया में प्रशासनिक अमले ने जिम्मेदारी तो तय कर रही है लेकिन खुद जिम्मेदार ही लंबे समय तक अपने पोर्टल को नहीं खोलते और न ही इस पर ध्यान देते है। लिहाजा इन आवेदनों में कमी या कोई दस्तावेज मंगवाकर मजदूर की मदद नहीं हो रही है। उल्टा आवेदन ज्यादा होते ही निरस्त या लंबित लिखकर छोड़ दिया जा रहा है।
मजदूर जाएं तो जाएं कहां?
मजदूर को आवेदन ईमित्र पर करना है। जहां आवेदन की शुल्क लेने के बाद उसको कह दिया जाता है कि आवेदन हो गया, अब मोबाइल या मेल पर संदेश आएगा। अब मोबाइल पर इंग्लिश में संदेश आता है,जो सामान्य मजदूर समझ नहीं पाता है। लिहाजा उसके संदेश आने के बाद भी वह प्रकिया को पूरी नहीं कर पाता है।
व्यवहारिक जवाबदेही हों
ऑन लाइन आवेदन प्रक्रिया के बाद व्यवहारिक तौर पर सरकारी योजनाओं के लाभ की स्थिति जानने के लिए विभागीय कार्मिक टका सा जवाब देकर लौटा देते है कि अब सबकुछ ऑन लाइन है। हमारे पास कुछ नहीं, अब मजदूर ऑन लाइन किससे पूछे? हालात यह है कि सरकारी योजनाओं के लाभ से मजूदर वंचित हो रहे है।
बाड़मेर रेडमार्क जिलों में शामिल
जयपुर-195643-69438-44834
अलवर-144364-53830-38742
बाड़मेर-129992-73757-20206
दौसा-74887-36179-20369
भरतपुर-67905-24763-22451
झालावाड़-75803-21164-27373
जोधपुर-93737-31687-26256
नागौर-94889-29262-38278
टोंक-109965-47864-25741
जवाब दे सरकार या अधिकारी
यह जवाब अब सरकार और अधिकारियों को देना है कि इतने आवेदन निरस्त क्यों हुए और लंबित कैसे है? यह आंकड़ा गंभीर है। एक लाख के करीब आवेदन निरस्त और लंबित जिले में क्यों हुए? निरस्त में मामूली गलती रही है तो उसको सुधारकर लाभ दिया जाए। मजदूरों के बेटों की पढ़ाई के मामले में मानवीयता बरतनी होगी।-लक्ष्मण बडेरा, अध्यक्ष कमठा मजदूर युनियन
Source: Barmer News