पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क/जोधपुर। हाईकोर्ट ने 22 वर्षीय युवक के खिलाफ नाबालिग से यौन संबंध बनाने और नतीजतन बच्चा पैदा होने के मामले में युवक के खिलाफ पोक्सो एक्ट में दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि हम अनभिज्ञ नहीं हैं कि नाबालिग के साथ यौन कृत्य से जुड़े मामलों में यदि सहमति है, तब भी उसकी कोई कानूनी वैधता नहीं है और इसे बचाव के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
कोर्ट एक नाबालिग के साथ बालिग युवक के यौन संबंधों का अनुमोदन नहीं कर सकता, लेकिन फिर भी यह वास्तविकता है कि दोनों का प्रेम संबंध कानूनी और नैतिक सीमाओं से परे चला गया था, जिससे बच्चा जन्मा। न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकलपीठ के समक्ष यह मामला आया कि युवक और सोलह वर्षीय किशोरी में प्यार था और दोनों ने अपरिपक्वता के कारण क्षणिक भावनाओं से प्रेरित होकर सामाजिक, नैतिक और कानूनी सीमाओं को पार करते हुए यौन संबंध बना लिए। इसका पता तब लगा, जब किशोरी ने बच्चे को जन्म दिया। पुलिस ने किशोरी से पूछताछ के आधार पर खुद ही मामला दर्ज किया था। कोर्ट ने पाया कि शिकायतकर्ता पुलिस है।
Source: Jodhpur