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हर घर में रसोई गैस सिलेंडर काम में आता है, लेकिन इसकी सुरक्षा को लेकर काम में लेेने वालों को रत्ती भर भी जानकारी नहीं है। ऐसे में हादसा होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। जोधपुर में पिछले दिनों हुए गैस दुखांतिका कुछ इसी तरह का हादसा था। जहां सिलेंडर में ब्लास्ट के बाद शादी की खुशियां मातम में बदल गई और मौतों का सिलसिला अभी तक जारी है।
गैस सिलेंडर आज हर घर की जरूरत है। लेकिन इसका उपयोग कैसे किया जाए, इससे अधिकांश लोग अनभिज्ञ है। लीकेज होने पर क्या करना चाहिए या गैस सिलेंडर बदलने के दौरान कौनसे सुरक्षा नियम अपनाने चाहिए, इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है। सुरक्षा नियमों की जानकारी नहीं होने से हादसे की भयावहता को और बढ़ जाती हैं। नियमों की जानकारी होने हादसों को काफी हद तक रोका जा सकता है।
कनेक्शन करने के बाद कभी नहीं दी जाती जानकारी
घरों में गैस कनेक्शन होने के बाद उपभोक्ता को उसके हाल पर छोड़ दिया जाता है। जबकि खासकर महिलाओं को सुरक्षा नियमों की जानकारी होनी चाहिए और यह जिम्मा संबंधित कंपनी का होता है। लेकिन कनेक्शन के बाद एक बार भी उपभोक्ताओं को गैस उपयोग के लिए सुरक्षा के लिए अपनाए जाने वाले तरीकों को लेकर कोई बड़ी पहल किसी भी कंपनी की ओर से नहीं दिखती है। साल में एक दो कैम्प लगाकर इतिश्री कर ली जाती है।
डिलीवरी के समय से सुरक्षा की अनदेखी
अधिकांश घरों में जब गैस सिलेंडर की डिलीवरी दी जाती है तब उसकी अच्छी तरह से जांच होनी जरूरी है कि कहीं कोई लीकेज तो नहीं है। लेकिन यह जांच अधिकांश मामलों में नहीं की जाती है। डिलीवरी देने वाला सिलेंडर देकर चला जाता है। कई बार तो जब सिलेंडर की कैप निकाली जाती है, तब पता चलता है कि गैस लीक हो रही है या फिर नोजल के अंदर की रिंग ही गायब है। ऐसे मामले आए दिन सामने आते हैं। सिलेंडर की डिलीवरी के वक्त ही सुरक्षा नियमों की शुरूआत हो जाती है, लेकिन अनदेखी हादसे का कारण बन सकती है।
यहां पर सुरक्षा नियम बताने की ज्यादा जरूरत
गांवों में अब हर घर और यहां तक की झोंपे में भी गैस सिलेंडर पहुंच चुके है। यहां आग की घटना होने पर सबसे बड़ा खतरा गैस सिलेंडर के पैदा हो जाता है। कुछ दिनों मे हुए आग के हादसों के दौरान ऐसे मामले भी सामने आए हैं। जब आग की घटना होते ही अन्य को बचाने से पहले गैस सिलेंडर को बाहर निकालने में लोग तत्परता दिखाते दिखे। ऐसे में ग्रामीण शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की अधिक आवश्यकता है। रसोई गैस सिलेंडर के उपयोग से पूरी तरह अनजान महिलाएं यहां खतरे की जद में होती है।
एजेंसी की ओर से गैस सुरक्षा को लेकर स्कूलों में कैम्प लगाए जाते हैं। डिलीवरी के वक्त सील हटाकर चैक करने के बाद ही सिलेंडर उपभोक्ता को सुपुर्द किया जाता है। इसके लिए डिलीवरीमैन को भी पाबंद किया जाता है। एजेंसी पेम्फलेट तैयार करवाएगी। उपभोक्ताओं को यह भी सलाह दी जाती है कि भरे हुए सिलेंडर को हमेशा खुले में रखना चाहिए।
गौतम, संचालक बाड़मेर गैस एजेंसी
हादसे के संभावित प्रमुख कारण
-गैस सिलेंडर का अवैध भंडारण
-घरेलू गैस का व्यावसायिक उपयोग
-अवैध तरीके से छोटे सिलेंडर रिफिल
जोधपुर के भूंगरा गांव की दुखांतिका के बाद प्रशासन अलर्ट
-घरेलू गैस के व्यावसायिक उपयोग पर रहेगी कड़ी नजर
-अवैध रूप से गैस भंडारण और रिफलिंग मिलने पर सख्त कार्रवाई
-आमजन को जागरूक करने के लिए पेम्फलेट का वितरण
-गैस सिलेंडर सप्लाई रजिस्टर्ड वाहन से होना जरूरी
-आडियो के माध्यम से जागरूक करने के निर्देश
-सिलेंडर संबंधी समस्या पर हेल्पलाइन 1906 पर करें शिकायत
बाड़मेर : जिले में कहां कितने गैस कनेक्शन
पंचायत समिति कनेक्शन
कल्याणपुर 9813
गडरा रोड़ 6199
गुडामालानी 7204
गिडा 11206
चौहटन 11527
धनाऊ 5235
धोरीमन्ना 10714
पाटोदी 6840
पायला कला 6193
फागलिया 2550
बाड़मेर 11770
बाड़मेर ग्रामीण 11764
बायतू 12573
बालोतरा 19548
रामसर 5969
शिव 7931
सेडवा 4344
समदड़ी 11873
सिणधरी 8694
सिवाना 12624
—-
शहरी क्षेत्र गैस कनेक्शन
बाडमेर 19129
बालोतरा 13900
सिवाना 3443
कुल : 226114
स्रोत : रसद विभाग

Source: Barmer News

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