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धर्मवीर दवे

बालोतरा (बाड़मेर) . बाजरा उपजने वाली बाड़मेर की बालुई धरती, आने वाले वर्षों में बागवानी खेती में पूरे प्रदेश के लिए नजीर बनें तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। अनार के रुप में प्रदेश में अनूठी पहचान बना चुके जिले के मेहनतकश किसानों ने अब अंजीर की खेती में भाग्य अजमाया है।

सिवाना क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों में करीब 15 हजार अंजीर के पौधे खेतों में लहलहा रहे हैं। मार्च में पहली बार इसकी पैदावार आएगी। सदियों से रबी-खरीफ की परम्परागत खेती करते आ रहे जिले के किसानों ने 2010 में पहली बार इस मिथक को तोड़ते हुए अनार की खेती की थी।

अगस्त 2010 में बुड़ीवाड़ा-जागसा गांव के करीब दो दर्जन किसानों ने जब सर्वप्रथम पहल करते हुए 32 बीघा में अनार के पौधे लगाए तब एक जुआ था, लेकिन इनकी मेहनत पर जब तीसरे वर्ष खेती करने वाले किसानों को इसकी भरपूर पैदावार व अच्छी कीमत मिली, तो जिले भर के हजारों किसानों के लिए प्रेरणा बन गए।

अब जिले में करीब 30 हजार हैक्टेयर में अनार के 15 लाख पौधे लहलहा रहे हैं। अब अंजीर पर नजर – सिवाना, पंऊ, सिणेर, मिठौड़ा, धीरा, कुशीप, जीनपुर आदि गांवों के करीब दो दर्जन किसानों ने गत वर्ष जुलाई-अगस्त माह में अपने खेतों में अंजीर के पौधों की बुवाई की थी।

इनकी मेहनत पर इन गांवों के खेतों में करीब 2.5 से 3 फीट ऊंचाई में इन दिनों अंजीर के पौधे लहलहा रहे हैं। इन पर फल लगने शुरू हुए हैं। करीब तीन-चार माह में पककर तैयार होंगे।

अनार सी खेती, जलवायु अनुकूल –

किसानों के अनुसार अनार के समान ही अंजीर की खेती होती है। अनार के पौधे होते हंै और अंजीर में कलम रोपी जाती है। इसकी बुवाई मई-जून माह छोड़ कर किसी भी समय की जा सकती है। अंजीर की कलम छोटी होती है। शुरुआत में अधिक तापमान सहन नहीं कर सकती है।

तैयार पौधा 45 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान सहने की क्षमता रखता है। 3 हजार टीडीएस क्षमता का पानी, क्षेत्र की जलवायु इसके अनुकूल है।

8 से 10 फीट दूरी में इसकी बुवाई की जाती है। सर्दी में दो दिन व गर्मी में एक दिन अंतराल में बूंद-बूंद सिंचाई से इसकी सिंचाई करनी होती है।

फेक्ट फाइल

-9 माह बाद फल
– 1.5 वर्ष बाद फसल- 5 किलोग्राम पौधे पर पहले साल फल- 15 किलोग्राम दूसरे वर्ष फल

– 25 किलोग्राम तीसरे साल फल
– 90 से 110 रुपए किलोग्राम के दाम से बिकता है हरा फल

अंजीर के पौधों पर लगने लगे फल –

अंजीर के 500 पौधे लगाए हैं। मेहनत पर कम समय में ही इनकी अच्छी बढ़ोतरी हुई है। फल लगने शुरू हुए हैं। मार्च में फसल पकेगी। बाजार में इसकी अधिक कीमत है। फसल बुवाई में भी खर्चा अधिक नहीं आता है। मैं इससे संतुष्ट हूं।

– त्रिलोकसिंह राजपुरोहित, गांव मिठौड़ा

अंजीर के पौधे लगाए, जलवाऊ भी अनुकूल-

मैंने अंजीर के पौधे लगाएं हैं। पानी व जलवाऊ दोनों ही इनके अनुकूल होने पर ये खूब फूले फलेे हैं। इस पर फल लगने शुरू हो गए हैं। अच्छी फसल मिलने को लेकर पूरा आशान्वित हूँ । उम्मीद है कि अनार की तरह ही अंजीर के बगीजे जिले में खूब लगेंंगे।

– सुरताराम देवासी, किसान जीनपुर

Source: Barmer News

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