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बाड़मेर. जलवायु परिवर्तन के कारण प्रति वर्ष तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। इस वर्ष भारत का लगभग 65 प्रतिशत भाग गर्म लहरों से प्रकोपित था, लू तापघात का मानव स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके लिए योजना एवं प्रशासनिक प्रयास आवश्यक है।

देश के 25 से ज्यादा राज्यों में लू तापघात से मृत्यु एवं बीमारियां होती है। फिर भी अभी तक कुछ राज्यों एवं म्युनिसिपल कार्पोरेशन न ने हीट एक्शन प्लान का क्रियान्वन किया है।

लू तापघात के कारण मृत्यु एवं बीमारियों के आंकड़े भी उचित रूप से उपलब्ध नहीं है। इसके लिए सरकार को ठोस योजना के साथ नीति बनानी चाहिए। यह बात भारत सरकार के इंस्पायर फेलो एवं अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ डॉ. महावीर गोलेच्छा ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण गृह मंत्रालय भारत सरकार एवं कर्नाटक सरकार के संयुक्त तत्वावधान में 2020 हीट एक्शन प्लान योजना के लिए 5 व 6 दिसम्बर को बेंगलुरू में संपन्न कार्यशाला में कहीं।

कार्यशाला में देश के लिए विभिन्न राज्यों के आपदा विभाग, राजस्व विभाग, शहरी विकास, कृषि विभाग, मौसम विभाग आदि के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

आपदा से पहले बनाएं प्लान

उन्होंने बताया कि अधिकतर विभाग आपदा के बाद गतिशील होते हंै। जबकि इन आपदाओं के प्रति हमें पहले से ही तैयारी एवं योजना बनाने की जरूरत है, ताकि मानवीय एंव पशुधन की हानि को रोका जा सके। पिछले दो दशकों में लू तापघात से हजारों नागरिकों की मृत्यु हो चुकी है एवं लाखों इससे बीमार होते है।

हमारे स्वास्थ्य सिस्टम एवं अन्य विभागों को इस बीमारियों के प्रति हीट एक्शन प्लान क्रियान्वित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि 2010 की लू तापघात से कारण हजारों नागरिकों की मृत्यु के बाद अहमदाबाद ने आइआइपीएच गांधीनगर के सहयोग से हीट एक्शन प्लान क्रियान्वित किया था।

इस प्लान के कारण अहमदाबाद में लू तापघात के कारण मृत्यु तथा बीमारियों में भारी कमी आई। इस सफल हीट एक्शन प्लान का क्रियान्वन अन्य राज्यों एवं एशियाई देशों में भी किया गया।

Source: Barmer News

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