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जोधपुर।

केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) में इस बार बेर की 42 वैरायटी पैदा की गई है। काजरी के बेर की स्वाद व गुणवत्ता के कारण विभिन्न वैरायटियां मारवाड़ ही नहीं पूरे देश तक पहुंच हो गई है। काजरी में बेर का उत्पादन दिसम्बर अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाता है और मार्च तक चलता है। अच्छी बारिश व मौसम से इस बार काजरी के बेर का अच्छा उत्पादन है, जो गत वर्ष से ज्यादा है। इस वर्ष करीब 60 टन बेर उत्पादन का अनुमान है। बेर का उत्पादन मार्च तक होगा व शिवरात्रि तक डिमाण्ड ज्यादा रहेगी।

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इलायची सबसे ज्यादा मीठी, तो थाई एप्पल सबसे ज्यादा वजनी

– केवल बारिश पर आधारित होने से काजरी के बेर की मिठास अन्य बेर से अधिक है।

– बेर के टीएसएस (टोटल सोल्यूबल शुगर) से उसके मीठेपन का निर्धारिण होता है।

– बेर की इलायची वैरायटी सबसे अधिक मीठी है। इसकी टीएसएस 27 है। जिनका रंग हरा व छोटा होने के बावजूद यह अत्यधिक मीठे हैं। यह जनवरी के अंत तक पकेगा।

– गोला का टीएसएस 22.5 है, जो थोड़ा कम है। लोग सर्वाधिक गोला वैरायटी को पंसद कर रहे हैं।

– वहीं, बेर की थाई एप्पल वैरायटी के बेर सबसे अधिक वजनदार होता है। इसका एक फल करीब 100-150 ग्राम होता है।

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डिमाण्ड ज्यादा, बेरियों से बाजार में पहुंचे बेर

उत्पादन अच्छा होने के साथ काजरी के बेर काजरी के बाहर खुले बाजार में बिकना शुरू हो गए है, और लोगों की भी काजरी के बेर को लेकर अधिक मांग है। काजरी की ओर से इस बार की गई नीलामी में भी अब तक के इतिहास में सर्वाधिक राशि मिली है। इस बार काजरी के बेर का ठेका 11.75 रुपए में उठा है। जबकि अब बेर का ठेका दस लाख या इससे कम में ही हुआ है।

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बेर में होती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

बेर में विटामिन सी, बी काम्पलेक्स, कार्बोहाइड्रेट सहित कई पोषक तत्व होते हैं। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी गुण होता है जिसके चलते यह शरीर के घाव को जल्दी भरने में मदद करता है।

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बारिश व मौसम की अनुकूलता की वजह से इस बार बेर का अच्छा उत्पादन हुआ है। मार्च तक उत्पादन होगा।

डॉ पीआर मेघवाल, प्रधान वैज्ञानिक उद्यानिकी

काजरी

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Source: Jodhpur

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