ओसिया (जोधपुर)। पहली बार जीरे के बाजार भाव में हुई बेतहाशा बढ़ोतरी से किसान काफी खुश हैं। हालांकि अगेती जीरे की खेती उम्मीदानुसार रास नहीं आई, लेकिन अगर मौसम अनुकूल रहा और भाव नहीं गिरे तो जीरे की पछेती खेती किसानों को मालामाल कर सकती हैं। जानकारी के अनुसार जिन किसानों के जीरा बेचने से रोका हुआ था उन्हें 30 से 35 हज़ार रुपए प्रति क्विंटल भाव के हिसाब से क़ीमत मिली।
जीरे की बुवाई से पहले ही जीरे का बाजार भाव 20 हजार प्रति किंवटल से ऊपर था, ऐसे में किसानों का जीरे की बुवाई को लेकर रुझान जरूर दिखा लेकिन दिसंबर माह के पहले पखवाड़े तक भी तापमान नीचे नही आने व गर्मी के कारण अगेती जीरे में अंकुरण में दिक्कते आई।
जिससे जीरे की अगेती बुवाई क्षेत्र 60 प्रतिशत रकबे में बुवाई असफल हो गई और जीरे की बुवाई फिर से करनी पड़ी। वही जहां कुछ अंकुरण हुआ उसमे भी सामान्य से ज्यादा समय लगा। इससे क्षेत्र में अगेती जीरे का रकबा बहुत कम रह गया। जिससे जीरे की इस बार ऐतिहासिक बुवाई की उम्मीद पूरी नहीं हुई और जीरे की बुवाई ओसत बुवाई से नीचे आ गई।
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जीरे का 1 लाख 30 हजार मीट्रिक टन फसल उत्पादन का अनुमान
कृषि विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार इस बार जोधपुर जिले में 165000 हैक्टेयर में जीरे की बुवाई हुई है। जो पिछले वर्ष से 10 हजार हैक्टेयर ज्यादा है लेकिन वर्ष 2020 की के बुवाई रकबे 26 हजार हैक्टेयर कम है। ऐसे में अधिकतर अगेती बुवाई असफल होने से जीरे के भावों में ऐतिहासिक ऊंचाई के दौरान ऐतिहासिक बुवाई का आंकड़ा नहीं छू पाया।
गोपासरिया के रामकिशोर डोगियाल व श्रीरामनगर के मदन गोदारा ने बताया कि गत दिनों पाला गिरने से जीरे में कुछ नुकसान की आशंका जताई जा रही है। जिस जीरे सिंचाई को ज्यादा समय हो गया था उस जीरे में पाले का नुकसान ज्यादा हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार जीरे की फसल के लिए आगामी एक दो माह का समय बहुत ही संवेदनशील रहने वाला है। अगर मौसम अनुकूल रहता है तो जीरे का 1 लाख 30 हजार मीट्रिक टन फसल उत्पादन का अनुमान है।
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जोधपुर जिला में पिछले वर्षो में बुवाई व पैदावार
वर्ष—— बुवाई—— पैदावार
2018—157616—125993
2019—168050—165865
2020—191073—145880
2021—160631—96924
2022—155000—105000
2023—165000—130000
(वर्ष 2023 में पैदावार अनुमानित)
स्रोत – बागवानी विभाग राजस्थान
इनका कहना हैं
देशभर में जीरे की पैदावार के अनुमान वर्ष भर की निर्यात व घरेलू मांग से कम है, ऐसे में किसानों को फसल पकने पर अच्छे भाव मिलने की उम्मीद है। किसान भाई जीरे में मौसम में बदलाव के अनुसार विशेषज्ञों से सलाह लेकर समय पर समुचित उर्वरकों का उपयोग कर लक्षणों के अनुसार कीट रोगों का उपचार करें।
तुलछाराम सिंवर, प्रदेश मंत्री, भारतीय किसान संघ।
यूरिया के साथ सल्फर का उपयोग
जीरे की फसल के अंकुरण के 45 दिन बाद ब्लाइट (झुलसा) की आशंका रहती है।अगर पूर्व में यूरिया के साथ सल्फर का उपयोग किया है तो इसकी आशंका कम हो जाती है। अंकुरण से 60 दिन हो गए है तो झुलसा रोग से बचाव के लिए मेंकोजेब 0.2 प्रतिशत का छिड़काव किया जाना चाहिए। मौसम में बदलाव से आद्रता बढ़ने से एफिड की संभावना बढ़ेगी ऐसे में फफुदनाशक के साथ इमिडा अथवा एसीफेट (सिस्टेमिक कीटनाशक) मिलाकर छिड़काव करें। जब भी धुंध व कोहरा बढ़े तो जीरे में में प्रति बीघा चार किलो राख की डस्टिंग करना उपयुक्त होगा।
डॉ आरपी जांगिड़ , पूर्व निदेशक, कृषि अनुसंधान केंद्र बीकानेर
Source: Jodhpur