रतन दवे
बाड़मेर पत्रिका.
जहां एक ओर प्रदेश का मेगा प्रोजेक्ट रिफाइनरी कोरोना के बाद लगातार द्रुुतगति मिलने से 60 प्रतिशत तक खींच गया है वहंी दूसरी ओर तेल का उत्पादन बढऩे का नाम ही नहीं ले रहा है। रिफाइनरी कार्य शुभारंभ के वक्त 16 जनवरी 2018 को प्रधानमंत्री के समक्ष केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इसे 2023 तक 5.50 लाख बैरल प्रतिदिन तक लाने का वादा किया था लेकिन अभी तक यह 1.20 लाख बैरल प्रतिदिन पर ही अटका हुआ है। राज्य सरकार के लिए कम तेल उत्पादन घाटे का सौदा बनता जा रहा है।
ये था प्लान
2018-19-2 लाख
2019-20- 3 लाख
2020-21-3.50 लाख
2021-22-4.50 लाख
2023 मार्च-5.50 लाख
ये है स्थिति
2018-19- 1.50 लाख
2019-20- 1.40 लाख
2020-21- 1.25 लाख
2021-22-1.13 लाख
2022-23-1.20 लाख
क्या रहे कारण
– तेल फील्ड से उत्पादन घटने लगा है। अब यह ऑयल फील्ड उम्र के हिसाब से आशान्वित उत्पादन नहीं दे रहा है।
– नए ब्लॉक में खोज प्रारंभ हैै लेकिन अभी तक कोई बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लगी है
– केन्द्र सरकार और कंपनी के बीच में एक्सप्लोरेशन एग्रीमेंट लाइसेंस तो बढ़ा दिया गया है, लेकिन कंपनी अभी केवल घोषणा कर रही है, उत्पादन नहीं बढ़ा है।
2012-13 से लगातार घटा
2012-13 में 2.25 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन था जो लगातार घटा है। 2019 में कोरोना काल में 1.50 लाख के करीब था जिसे कोरोनाकालल में 1.10 लाख तक ले गए। कोरोनाकाल खत्म तो हुआ लेकिन तेल उत्पादन इस गति से नहीं बढ़ रहा है। तेल कंपनी इसको लेकर घोषणाएं कर चुकी हैै लेकिन बढ़ोतरी का ग्राफ ऊंचा नहीं उठ रहा। अभी 1.20 लाख बैरल प्रतिदिन ही है।
रिफाइनरी को भी झटका लेकिन फिर गति
कोरोनाकाल में रिफाइनरी का कार्य भी बंद करना पड़ा लेकिन इसकी गति को तेल की तरह नहीं रोका गया। 43129 करोड़ की रिफाइनरी का प्रोजेक्ट अब करीब एक लाख करोड़ तक पहुंच रहा है,लेकिन 60 प्रतिशत तक काम हुआ है। अब रिफाइनरी के लिए 5.50 लाख बैरल की दरकार रहेगी। जिसकी ङ्क्षचता खाए जा रही है।
राजस्व का बड़ा घाटा
राज्य सरकार को बीते वर्ष 4000 करोड़ रुपए तेल का राजस्व मिला था और इस साल भी कमोबेश यही स्थिति है। यदि यह उत्पादन अब तक 4 लाख बैरल होता तो 15000 करोड़ से अधिक राजस्व मिलता। यानि 11 हजार करोड़ रुपए का घाटा कम उत्पादन की वजह से हो चुका है।
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Source: Barmer News