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एम आई ज़ाहिर/जोधपुर. उनकी खूबसूरत आवाज के दीवानों की तादाद सात समंदर पार भी बहुत है। इस शख्सियत की आवाज शॉर्ट मूवी के जरिये ब्रिटेन के भारतीय दूतावास में भी गूंजी तो गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बाड़मेर में रिफाइनरी के समय भी खूब पसंद की गई। खम्मा घणी सा…. । राजस्थान के लाखों दिलों की धड़कन रेडियो और स्टेज की खूबसूरत आवाज रविवार को थम गई। हिन्दी, उर्दू और राजस्थानी के मशहूर वरिष्ठ उद्घोषक, वरिष्ठ पत्रकार और शाइर मारवाड़ रत्न हाजी ज़फ़र ख़ान सिन्धी का रविवार को इन्तक़ाल हो गया। वे 59 वर्ष के थे। वे लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। उनका पहले मुंबई के टाटा मेमोरियल और बाद में जोधपुर के निजी अस्पताल में लंबा इलाज चला। उनके परिवार में पत्नी कनीज़ा मेहर व दो पुत्र मोहम्मद यूसुफ व जमीर ख़ान हैं। उन्हें इतवार दोपहर बाद जोधपुर के पांचवीं रोड क़ब्रिस्तान में सुपुर्दे-ख़ाक कर दिया गया। उनके जनाजे में जनसैलाब उमड़ पड़ा। जनाजे में बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार, कलाकार व आकाशवाणी व रेडियो जगत से जुड़े सदस्य, शिक्षाविद्, साहित्यकार, शाइर, कवि,रंगकर्मी, समाजसेवी, कई राजनीतिक पार्टी सदस्य, पार्षद, व सहित कई गणमान्य लोग व बड़ी संख्या में समाज के हर वर्ग व समुदाय के लोग शरीक हुए।

आवाज का जादूगर ज़फ़र ख़ान सिन्धी : एक नज़र

ज़फ़र ख़ान सिन्धी का जन्म 4 दिसंबर 1964 को राजस्थान हाईकोर्ट में रीडर रहे सिकंदर खान के यहां हुआ। जोधपुर की महेश स्कूल के छात्र रहे ज़फ़र खान ने कॉलेज की शिक्षा उस्मानिया यूनिवर्सिटी से पूरी की और तीन विषय हिन्दी, इतिहास व समाजशास्त्र में एम.ए. किया। वहीं राजस्थान यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की डिग्री हासिल की। उन्होंने शुरू से शाइरी का शौक रहा। उनका एक विशेष व उल्लेखनीय कार्य यह रहा कि उन्होंने अपनी आवाज के माध्यम से राजस्थानी भाषा को समृद्ध किया। इसके अलावा उन्होंने जोधपुर के दैनिक अखबाराें में सांस्कृतिक संवाददाता व फीचर संपादक के रूप में भी कार्य किया। वहीं राजस्थानी की पत्रिका के लिए भी लेखन किया। वे हैदराबाद दूरदर्शन पर तीन साल तक एन्कर रहे। उन्होंने जयपुर दूरदर्शन व माणक टीवी के लिए भी काम किया। ज़फ़र खान ने वर्ष 1986 से एन्करिंग की शुरुआत की। उन्होंने ‘आप की फरमाइश‘ ‘मेरी आवाज ही मेरी पहचान‘ और ‘फुलवारी‘ जैसे कई प्रसिद्ध प्रोग्राम दिए। आकाशवाणी में उनका सफर चूरू केंद्र से सन 1993 में शुरू हुआ। वर्ष 1998 में उनका तबादला आकाशवाणी के जोधपुर केंद्र में हुआ था। आकाशवाणी जोधपुर में राजस्थानी भाषा के बेहतरीन प्रोग्राम एफ. एम. चैनल पर पेश किए। उनके कार्यक्रम तस्वीर,कौन बनेगा चैम्पियन-क्विज बहुत लोकप्रिय रहे। इसके अलावा उन्होंने कई कैसेट्स, एलबम्स, कहानियों, वृतचित्रों और विज्ञापनों में भी आवाज दी।नई पीढ़ी का हर उदघोषक उन्हें अपना आदर्श मानता रहा है और उनके जैसी आवाज होने की ख्वाहिश रखता है। वे शबे-कद्र, कव्वालियों, आम, हम्दिया व नातिया मुशायरों के आयोजक व संचालक भी रहे। राजस्थान में हर सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजक की यही ख्वाहिश रही कि उनके कार्यक्रम का मंच संचालन जफर ख़ान सिन्धी करें। जोधपुर का मारवाड़ रत्न समारोह हो, जोधपुर स्थापना दिवस समारोह, माणक अलंकरण समारोह या मारवाड़ समारोह अथवा जैसलमेर का मरु महोत्सव हो या बाड़मेर का थार महोत्सव,यह आवाज कई मेलों, मुशायरों और कवि सम्मेलनों में भी गूंजती रही। उनके चाहने वालों व प्रशंसकों की बहुत बड़ी तादाद है। हर तरफ शोक की लहर छा गई। उनके इन्तक़ाल पर सोशल साइटस पर जफर खा़न सिन्धी के निधन का ही चर्चा रहा।यहां तक कि लोगों ने अपने व्हाट्स एप स्टेटस बदल दिए।

Source: Jodhpur

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