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जोधपुर आने वाले पर्यटकों को नए लुक में नजर आएगी मारवाड़ के देवताओं- वीरों की 16 प्रतिमाएं
मारवाड़ की प्राचीन राजधानी रहे मंडोर में पहाडी को काटकर बनाई गई थी वीर विथिका

जोधपुर. ऐतिहासिक मंडोर उद्यान में अजीतपोल के पास स्थित देवताओं की साल में जर्जर विभिन्न देवी देवताओं की विशालकाय प्रतिमाओं का समूह करीब 70 लाख खर्च करने के बाद नए लुक में नजर आने लगा है। मूर्तियों की मरम्मत व नियमित देखरेख नहीं होने के कारण राजस्थान पत्रिका की ओर से मामले को उजागर करने के बाद राज्य सरकार ने इसे बजट घोषणा में शामिल किया और देवताओं की साल तथा रावण की चंवरी के लिए 70 लाख बजट की घोषणा की थी। बजट घोषणा के अनुरूप देवताओं की साल के जर्जर छज्जे और प्रतिमाओं का जीर्णोद्धार कर नया स्वरूप प्रदान किया गया। जोधपुर के महाराजा अजीतसिंह और महाराजा अभयसिंह के शासनकाल में मूर्तियों का निर्माण काल सन 1707 ई. से लेकर 1749 ई. तक रहा। मूर्तियों में 7 तो देवताओं और 9 वीर पुरूषों की है। प्रत्येक मूर्ति लगभग पंद्रह फ ीट ऊंची है और प्रतिमाओं की आंखें निजी विशेषता रखती है। मारवाड़वासियों की श्रद्धा का केन्द्र सभी 16 मूर्तियां पहाडी को काटकर बनाई गई जो वर्तमान में देवी-देवाताओं की साल, वीरभवन और वीर विथिका के नाम से भी जानी जाती है। देवताओं की साल में -बे-माता की प्रतिमा भी है जिनकी प्रति मारवाड़ की महिलाओं की अटूट आस्था है।

6 प्रतिमाओं को रखा यथावत
देवाताओं की साल में कुल 16 मूर्तियों में 6 देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को प्राचीन स्थितिनुसार यथावत रखा गया है इस पर किसी तरह का रंग रोगन नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुसार प्रतिमाओं के जीर्णोद्धार और रावण की चंवरी को निखारने पर करीब 70 लाख खर्च किए गए है। परिसर में सफाई का कार्य अंतिम चरण में है। साल परिसर में मवेशियों और पक्षियों से होने वाली गंदगी को रोकने के लिए आसपास सुरक्षा दीवार और जाली लगाई गई है।

बीएल मौर्य, अधीक्षक, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, जोधपुर वृत्त

देवताओं की साल की मूर्तियों का संक्षिप्त विवरण
1. चामुण्डा – राठौड़ों की इष्ट देवी और परिहारों (ईंदों) की कुलदेवी।
2. महिषासुरमर्दिनी (भैंसासुरणी) – राक्षस का वध करती महिषासुर मर्दिनी
3. गुंसाई जी – गुंसाई सम्प्रदाय के महात्मा।
4. रावल मल्लीनाथ – मालानी में राठौड सत्ता के संस्थापक मारवाड में लोक देव के रूप में पूजे जाते है।
5. पाबूजी राठौड़ – ये राव आस्थान के पौत्र और राव धांधल के पुत्र थे। एक चारणी की गायों की रक्षा करते हुए संवत 1339 के मिगसर वदी 9 को जायल के शासक जींदराव खींची की सेना से लडते हुए डांवरा गांव के निकट वीरगति को प्राप्त हुए थे।
6. रामदेवजी – तोमर (तंवर) वंशज अजमाल और मैणादे के पुत्र रामदेवजी ने समाज में व्याप्त छुआ-छूत को मिटाने के लिए अछूतों को गले लगाया। लोकदेवता रामदेवजी ने रूणेचा गांव में वि.सं. 1515 में जीवित समाधी ली।
7. हड़बूजी – हड़बूजी सांखला लोकदेवता रामदेवजी के मौसेरे भाई थे।
8. मेहाजी – ये सांखला राजपूत थे। जैसलमेर के राजा ने एक बड़ी भारी फ ौज लेकर इन पर चढाई की थी जिसमें युद्ध करते हुए जुंझार हुए। जोधपुर जिले के बापिणी गांव में इनका मंदिर है।
9. गोगाजी – ये चौहान जाति के राजपूत थे और अपनी असाधारण वीरता के लिए प्रसिद्ध है। बीकानेर के नौहर तहसील के गोमामेड़ी गांव में इनकी स्मृति में प्रतिवर्ष भाद्रपद वद नवमी को मेला लगता है।
10. ब्रह्माजी – हिंदुओं के शास्त्रानुसार सृष्टि के रचियता।
11. सूर्यदेव – संसार को प्रकाशवान करने वाले देवता।
12. रामचंद्र – विष्णु भगवान के अवतार और अयोध्या के राजा जिनके वंशज सूर्यवंशी राठौड़ है।
13. कृष्ण – विष्णु भगवान के अवतार और महाभारत युद्ध के मुख्य नायक।
14. महादेव/शिव – हिंदुओं के पौराणिक मतानुसार सृष्टि के संहारकर्ता।
15. जलंधरनाथजी – नाथ सन्यासी।
16. गणेश – देवताओं में प्रथम पूजनीय तथा प्रत्येक शुभ कार्य में प्रथम पूजनीय देवता।

Source: Jodhpur

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