आदरणीय,
मुख्यमंत्री जी, जैसा आपको पता है कि मैं अभी जापान-टोक्यो आया हुआ हूं और कुछ दिन रहूंगा। यहां मुझे काफ़ी लोगों ने फ़ोन कर बताया की राज्य सरकार ने जोधपुर ज़िले की बीस सूत्री कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए एक कमेठी गठित की है जिसमें सलीम भाई के साथ मुझे भी क्रमांक 12 पर सदस्य मनोनीत किया है। ऐसा लगता है आपसे चर्चा करके यह लिस्ट नहीं बनाई गई है। अगर ऐसा है तो, आप प्लीज़ शासन सचिव से कह कर मेरा नाम उस लिस्ट से हटवाने की कृपा कर अनुग्रहित करें।
आपको तो मालूम ही है कि मैंने 2004 में सांसद सदस्य (MP) पाली से आप द्वारा टिकट फ़ाइनल करने के बावजूद मना किया। फिर 2010 में जोधपुर से मेयर के सीधे चुनाव में आप द्वारा मुझे उम्मीदवार बनाने के आग्रह को नम्र निवेदन कर पार्टी व आपके हित में रामेश्वर दाधीच को उम्मीदवार बनाने की पैरवी कर ब्राह्मण समाज को साधने के लिए ना
केवल निवेदन किया बल्कि आपको पार्टी हित में मनाया। अत: आपने ख़ुशी से स्वीकार किया। मैंने तन मन से व धन दिलाकर मदद की और उनकी जीत पर सबसे ज़्यादा ख़ुशी मुझे हुई। फिर आपने मुझे “मेला प्राधिकरण का चेयरमैन बनाकर मंत्री पद” से नवाजने की स्वीकृति दिखाई। मैंने एक बात आपको बताई कि ‘मेलों खेलों’ में कितनी भी बेहतरीन व्यवस्था क्यों ना हो-हादसों से नहीं बचा जा सकता है। जोधपुर क़िले पर हादसे ने हमें हिला दिया था। “अगर मैं चेयरमेन होऊँगा तो सीधी गाज आप पर गिरेंगी”। तब आपने कहा यह तो मुझे किसी ने नहीं बताया। मैंने ही कहा आप किसी और को बना दें आप खूब जानते है मैंने कभी पद की लालसा-” लालच से” नहीं रखी।
फिर आपने ही मुझे 2013 में विधानसभा का टिकट दिया और न केवल मेरा सम्मान बढ़ाया बल्कि भरोसा किया। मैं पचीस-तीस साल बाद जोधपुर लौटा फिर भी मैंने जमकर चुनाव लड़ा और शांति धारीवाल जी से कम वोट से हारा। वो भी भारी मोदी लहर और आख़िरी दिन उनके आ जाने से। आपने मुझे देने में कोई कमी नहीं रखी। बाक़ी भाग्य व राज योग सब करा देता है। मैंने जमकर विधानसभा क्षेत्र में काम कर लोगों को जोड़ा। नए लोगों को जोड़ने की कला से
पुखराजजी को जब मेरे पास भेजा, तब बहुत प्रभावित हुए। पर किसी कारणवश पार्टी 2018 में टिकट नहीं दे पायी। तब भी, किसी ने मेरे चेहरे पर शिकन तक नहीं देखी और मैं कुछ लोगों में था जो मनीषाजी को उनके घर प्रवीण कुंभट जी व धनजी के साथ जाकर तुरंत माला पहना कर संदेश दिया-पूरी कांग्रेस साथ है।
उनके नॉमिनेशन के बाद वाली मीटिंग में आपने मुझे बोलने का मौक़ा दिया और मैंने दिल से एक लाख रुपये प्रति वर्ष जरूरतमंद कार्यकताओं के लिए देने की घोषणा की। यह मेरा आपके द्वारा दिए 2013 के टिकट के प्रति छोटा सा उद्गार था । वो क़र्ज़ मुझ पर पांच लाख पहुंचने वाला है। मैंने तीनों अध्यक्ष जी से निवेदन किया मेरे से चेक लेकर क़र्ज़ मुक्त कीजिए पर ऐसा नहीं हो पाया। आप कृपा कर नरेश जी व सलीम जी से कहें मेरे टोक्यो से लौटते ही चेक ले लें। मैंने कभी आपसे पद मांगा नहीं तो ये सब किसने करने को कहा। “इस नियुक्ति से मुझे बोहत आघात पहुंचा है”।
आप ऐसा क्यों करेंगे-मैं आज भी यही मानता हूं कि किसी नादान की करतूत है। बिना मतलब-मुझे नीचा दिखाने की।
आप तो हमेशा मेरा दर्जा बढ़ाने में थे। यहां तक कि इस बार वाले कार्यकाल में भी आपने तो मुझे एक कमेटी का चेयरमैन बनाने का ऑफ़र दिया। उसे भी मैंने ही राजनीतिक हित में ना मानकर बाहर से ही उस विषय में जो मदद कर सकता था- किया। उसके बाद आप कुछ नहीं दे पाए उसका मुझे कोई रंज नहीं है। तो ऐसा क्यों हुआ। प्लीज़
आप तुरंत आदेश में से- मेरे नाम को हटाने का आदेश दें। और आंकलन कीजिए – आपके इर्द-गिर्द कौन ऐसे लोग है, क्योंकि मैंने तो जीवन में जान बूझकर कभी किसी का बुरा करना तो दूर-सोचा भी नहीं। ऐसे लोगों के मंसूबों को नेस्तनाबूत करने के लिए यह संदेश, मैं स्वयं वाइरल कर रहा हूं ताकि लोगों को पता लगे -“आपने मेरे लिए क्या नहीं किया!” अन्यथा मेरे प्रति तो हमदर्दी बढ़ेगी और आपके प्रति लोग मेरा उदाहरण देकर प्रश्न चिन्ह लगायेंगे, जो आज भी लगाते हैं।
अग्रिम शुभकामनाओं के साथ
सुपारस भंडारी
Source: Jodhpur