सीबीएसई स्टूडेंट पढ़ेंगे…वोट बैंक की राजनीति को बढ़ाती है धर्मनिरपेक्षता
बारहवीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की किताब “पॉलिटिकल थ्योरी” में बदलाव
– हनुमान गालवा
जोधपुर. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों में आमूलचूल बदलाव किया गया है। बारहवीं कक्षा की राजनीति विज्ञान में पॉलिटिकल थ्योरी में एक पूरा चैप्टर धर्मनिरपेक्षता पर दिया गया है। इस आठवें अध्याय में धर्मनिरपेक्षता के पूरे मायने ही बदल दिए गए हैं। धर्मनिरपेक्षता काे पश्चिमी अवधारणा और तुष्टीकरण को बढ़ावा देने वाला बताया गया है। इसे वोट बैंक की राजनीति और तुष्टीकरण को बढ़ावा देने वाला बताया गया। इस अध्याय में 1984 में दिल्ली के सिख विरोधी दंगे, कश्मीरी पंडितों के विस्थापन और गोधरा के दंगों का भी जिक्र है। इसमें पंडित जवाहर लाल नेहरू को नास्तिक बताया गया है।
अब पूछे जाएंगे ऐसे सवाल
1. क्या धर्मनिरपेक्षता भारतीय मिट्टी में रोपा गया एक पश्चिमी पौधा है?
2. क्या धर्मनिरपेक्षता में पक्षपात के चिह्न है।3.क्या इससे अल्पसंख्यकों का `तुष्टीकरण` होता है।
4. क्या धर्म निरपेक्षता के नीचे लिखी बातें न्यायसंगत है।- अल्पसंख्यक समुदाय की तीर्थयात्रा को आर्थिक अनुदान देना।
– सरकारी कार्यालयों में धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन करना।5. बॉम्बे, गर्म हवा या इस विषय से जुड़ी कोई फिल्म देखें। इन फिल्मों में धर्म निरपेक्षता के किन आदर्शों को दिखाया गया है।
धर्म निरपेक्षता का मॉडल
यूरोपीय : राज्यसत्ता धर्म के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी और इसी प्रकार, धर्म राज्यसत्ता के मामलों में दखल नहीं देगा।कमाल अतातु्र्क : यह धर्मनिरपेक्षता संगठित धर्म से सैद्धांतिक दूरी बनाने की बजाय धर्म में सक्रिय हस्तक्षेप के जरिए उसके दमन की हिमायत करती थी।
भारतीय : भारतीय धर्मनिरपेक्षता का संबंध व्यक्तियों की धार्मिक आजादी से ही नहीं, अल्पसंख्यक समुदाय की आजादी से भी है।पंडित जवाहर लाल नेहरू के बारे में पढ़ेंगे…
– नेहरू भारतीय धर्मनिरपेक्षता के दार्शनिक थे।- नेहरू स्वयं किसी धर्म का अनुशरण नहीं करते थे।
– ईश्वर में उनका विश्वास ही नहीं था।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता की आलोचना
– धर्मविरोधी।
– ईसायत से जुड़ाव।
– अल्पसंख्यक अधिकारों पर सवाल।
– उत्पीड़नकारी ।
– वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा।
राष्ट्रप्रेम पढ़ाएं, सेवा सिखाएं
संविधान की मूल भावना से किसी रूप में छेड़छाड़ शोभानीय नहीं है। बच्चों को सद्भावना और सौहार्द का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए, ताकि उनमें राष्ट्रप्रेम का भाव मजबूत हो सके। राष्ट्रप्रेम सिखाना चाहिए और सेवा का भाग जगाना चाहिए।
– शंभुसिंह मेड़तिया, प्रदेश संयोजक, संघर्ष समिति, राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ।
Source: Jodhpur