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राजेंद्र सिंह देणोक

जोधपुर. जर्मनी की जाना, लीना और लोटा…फ्रांस की सरीन…इंगलैंड की गीमा…। ये वे लड़कियां है जो पिछले कुछ महीनों से शहर की पिछड़ी बस्तियों में हर रोज मिल जाएंगी। सुबह से दोपहर तक इनकी दिनचर्या बस्ती की महिलाओं और बच्चों के ईद-गीर्द ही घूमती है। अंदाज और पहनावा एकदम भारतीय, लेकिन महिलाओं और बच्चों को पढ़ा रही है अंग्रेजी का पाठ। टूटी-फूटी हिंदी में महिलाओं से उनसे जुड़े मुद्दों पर बतियातीं भी है। विभिन्न देशों की ये लड़कियां इंटर्न है और यहां शिक्षा की अलख जगा रही है। रेडक्रॉस और संयुक्त राष्ट्र के जरिए यहां संभली ट्रस्ट की ओर से संचालित केन्द्रों में सेवाएं दे रही हैं।

स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर बना रहीं जाकरूक

सांसी कॉलोनी भदवासिया, खेतानाडी, बंबा, उदयमंदिर और बंजारा कॉलोनी भदवासिया जैसी बस्तियों की महिलाएं इन दिनों विदेशी इंटर्न से अंग्रेजी का पाठ रहीं है। इंटर्न इन महिलाओं को अंग्रेजी के आम बोलचाल के शब्द सिखा रही है, ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़े। इसके साथ-साथ स्वच्छता और स्वास्थ्य का पाठ भी पढ़ा रहीं है। शहर में ऐसे पांच केन्द्र संचालित है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें सिलाई, बुनाई और कढ़ाई जैसे काम भी सिखाए जा रहे हैं। महिलाएं और बच्चे भी उत्सुकता से अपना कौशल निखार रहे हैं।

महिलाओं को बना रहे आत्मनिर्भर

महिलाओं को जागरूक और आत्मनिर्भर बनाने के लिए शहर में विभिन्न केन्द्र संचालित है। इनके जरिए महिलाओं और बच्चों को शिक्षित बना रहे हैं। उन्हें रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं। हमारे केन्द्रों पर विभिन्न देशों की इंटर्न महिलाओं को शिक्षा से जोड़ रही है।

– गोविंदसिंह राठौड़, निदेशक, संभली ट्रस्ट

Source: Jodhpur

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