जोधपुर।
हिन्दू पंचांग के तीसरे मास ज्येष्ठ मास को सभी मास में शुभ माना गया है। ज्येष्ठ माह शनिवार से शुरू होगा, जो 4 जून तक चलेगा। ज्येष्ठ माह में गर्मी चरम पर होती है और सूर्य के तेज प्रकाश के कारण नदी व तालाब सूख जाते हैं। इसलिए इस महीने में जल दान का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ माह में पूजा-पाठ और दान-धर्म करने से कई प्रकार के ग्रह दोष से मुक्ति मिल जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह में हनुमानजी, सूर्य देव और वरुण देव की विशेष उपासना की जाती है। पं अनीष व्यास के अनुसार,इस महीने में गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी, नारद जयंती, वट सावित्री व्रत जैसे महत्वपूर्ण व्रत व त्योहार मनाए जाएंगे।
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जल का दान सबसे श्रेष्ठ
इस माह में न सिर्फ आम लोगों को बल्कि पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए जल उपलब्ध कराना चाहिए। पं रमेश भोजराज द्विवेदी के अनुसार ज्येष्ठ मास में प्याऊ लगाना, नल लगवाना और पोखर, तलाबों का सरंक्षण करना विशेष फलदायी माना गया है।
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ज्येष्ठ माह का महत्व
– इसी मास में गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। इस कारण इस मास में गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है।
– इसी महीने में भगवान राम अपने परम भक्त हनुमानजी से मिले थे। इसके साथ ही ज्येष्ठ महीने में ही भगवान शनिदेव का जन्म भी हुआ था।
– ज्येष्ठ मास भगवान विष्णु का प्रिय मास है। इस मास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान विष्णु और उनके चरणों से निकलने वाली मां गंगा और पवनपुत्र हनुमान की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है।
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ज्येष्ठ माह के प्रमुख व्रत-त्योहार
8 मई सोमवार- एकदंत संकष्टी चतुर्थी।
12 मई शुक्रवार- कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी।
14 मई रविवार- हनुमान जयंती (तेलुगु)।
15 मई सोमवार- अपरा एकादशी, वृषभ संक्रांति।
17 मई बुधवार- मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)।
19 मई शुक्रवार- ज्येष्ठ अमावस्या, वट सावित्री व्रत, दर्श अमावस्या, शनि जयंती।
23 मई मंगलवार- विनायक चतुर्थी।
25 मई गुरुवार- स्कंद षष्ठी।
29 मई सोमवार- महेश नवमी।
30 मई मंगलवार – गंगा दशहरा।
31 मई बुधवार- निर्जला एकादशी, गायत्री जयंती, राम लक्ष्मण द्वादशी।
1 जून गुरुवार- प्रदोष व्रत (शुक्ल)।
3 जून शनिवार- वट पूर्णिमा व्रत, ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत ।
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Source: Jodhpur