जोधपुर . छोटे पर्दे के लोकप्रिय अभिनेता , हास्य कवि तथा लेखक शैलेश लोढ़ा का कहना है कि वे स्वयं को राजनीति के योग्य नहीं समझते हैं । राजनीति उनका विषय अथवा क्षेत्र तो बिलकुल भी नहीं है । राजनीति में आने के कयास पहले भी कई बार चुनाव में लगाए गए थे । लेकिन मैं राजनीति से दूर रहना ही पसंद करता हूं ।
जोधपुर प्रवास के दौरान शैलेश लोढ़ा की राजस्थान पत्रिका से हुई विशेष बातचीत के अंश :
Q आप एक अभिनेता , कवि और लेखक हैं पर आप खुद को किस रूप में देखते हैं ?
शैलेश : अभिनय मेरा शरीर है और कविता मेरी आत्मा है । मैं कवि और कलाकार हूं और उसी रूप में ही देश की जनता की सेवा करना चाहता हूं । मेरी सफलता में भाग्य और बुजुर्गों का आशीर्वाद है । मुझे गर्व है कि मैं राजस्थान की माटी में पैदा हुआ । हिन्दी टेलीविजन का एक मात्र एक्टर हूं जिसके खाते में छोटे पर्दे पर करीब पांच हजार एपिसोड है । हिन्दी कविता का परचम 43 साल से लेकर घूम रहा हूं ।
Q आप अपना गॉड फावर किंसे मानते हो ?
शैलेश : मेरा गॉड फादर तो गॉड ही है । मैं आस्तिक व्यक्ति हूं । बाला सती माता का भक्त हूं । मेरे जीवन का दर्शन है कि दुनिया बनाने वाले ने जो स्क्रिप्ट लिखी , उसमें कभी कुछ बदलाव करना संभव नहीं है । कविता तो मेरी आत्मा है । जो कुछ भी हूं हिन्दी कविता की वजह से हूं । देश के गांव और कस्बों में हिन्दी कविता व शायरी की प्रतिभाओं को मंच के साथ लोगों का भी बहुत प्यार मिल रहा है । मेरे लिए यह यज्ञ की तरह है ।
Q आप जोधपुर से दूर होते जा रहे हैं । शहर में साहित्यक एवं सांस्कृतिक आयोजनों में शिरकत नहीं करते हैं ?
शैलेश : यह बात सही नहीं है । जब तक इस शरीर में जान है तब तक जोधपुर से जुड़ा रहूंगा । जब भी किसी ने बुलाया है तब आया हूं ।
Q जोधपुर में इतना बड़ा साहित्य उत्सव हुआ सुना है आपने आने से इंकार कर दिया या … ?
■ शैलेश : यह सवाल आयोजकों से पूछें तो बेहतर होगा वही सही जवाब दे सकते हैं । वैसे शायद उनको यह जानकारी नहीं होगी कि मैं कविता लिखता हूं , किताबें भी लिखी है । शायद उनको जानकारी नहीं होगी कि मैं अकेला भारतीय कलाकार हूं जिसने लगभग पांच हजार एपिसोड में काम किया है । लेकिन उनकी नज़र में शायद …
Q आपने लगभग पांच हजार एपिसोड में काम किया है तो कौन सा सीरियल आपको सबसे प्रिय है ?
शैलेश : कविता वाले एपिसोड दिल के करीब है । इनमें वाह वाह , बहुत खूब , नुक्कड़ के शेर , क्या बात है , वाह – भाई वाह प्रमुख हैं ।
Q कौन से कवि ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया ?
शैलेश : हिन्दी कवि सम्मेलन में तो मंच पर कविता सुनी जाती है लेकिन बाल कवि बैरागी जब कविता पढ़ते थे तो मुझे कविता नजर आती थी । उनको सुनकर रोमांचित हो जाता हूं ।
Q टेलीविजन इंडस्ट्री में विचारधारा से कितना फायदा ?
शैलेश : भारत का स्वरूप खूबसूरत है । हम हमेशा असहमत होने के लिए सहमत हो सकते हैं । फिल्म इंडस्ट्री व टेलीविजन इंडस्ट्री में विचारधारा के आधार पर काम नहीं मिलता है । बहुत ही संकुचित सोच का व्यक्ति ऐसा करे तो भले ही करे , लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है । ध्रुवीकरण खबरों में ज्यादा नजर आता है ।
Q कौन सी कविता जो प्रेरणा देती है … ?
शैलेश : कोविडकाल में लिखी एक कविता । वह कविता कभी समाप्त नहीं होगी क्योंकि कविता का शीर्षक था इन दिनों को भूलना मत । उन दिनों ने हमें बहुत कुछ सिखाया ।
Q आपके जीवन का अविस्मरणीय क्षण ?
शैलेश : सहीं मायने में यदि फैन हूं तो लता दीदी का । एक बार फोन आया कि मयूरेश पई बोल रहा हूं लता दीदी आपसे बात करना चाहती हैं । लताजी ने कहा कि शैलेषजी मैं लता मंगेशकर बोल रही हूं । मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए । लता दीदी ने कहा कि शैलेशजी जब आप बोलते हो तो मुझे अच्छा लगता है । मैं आपको अक्सर सुनती रहती हूं । उसके बाद लता मंगेशकर ने आखरी बार जो बात हुई मेरे दिल पर छप कर रह गई । मेरा एक धारावाहिक देखते हुए मुझे फोन किया कि शैलेशजी कमाल है ना कि टीवी पर भी आपको देख रही हूं और बातें भी आप से कर रही हूं । मेरे जीवन में इससे बढ़कर कोई सम्मान नहीं हो सकता ।
कुलिशजी ने किया था पहली पुस्तक का विमोचन
यादों के झरोखे में खोते हुए शैलेश ने कहा कि 1995 में मेरी किताब प्रकाशित हुई जिसका शीर्षक ‘ तुम मत पढ़ो मेरी कविता ;था । इस पुस्तक का विमोचन राजस्थान में हिन्दी पत्रकारिता के जनक और राजस्थान पत्रिका समूह के संस्थापक प्रख्यात कवि एवं लेखक श्रद्धेय कर्पूर चन्द्र कुलिश के हाथों हुआ था । मुझे इस बात का आज भी गर्व है ।
Source: Jodhpur