जोधपुर।
कहते हैं बेटी पिता का मान अभिमान और सम्मान होती है। ऐसी ही एक बेटी है, जिसने सात समन्दर पार रूस में वुशु में स्वर्ण पदक जीत अपने देश व पिता का नाम रोशन किया। यह है मंजू चौधरी, जिसने मास्को में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वुशु स्टार चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। मंजू ने अपना पहला मुकाबला इंडोनेशिया से, दूसरा मुकाबला कजाकिस्तान से वहीं फाइनल मुकाबला मेजबान टीम रूस से जीतकर भारत की झोली में स्वर्ण पदक डाल दिया।
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मंजू के पिता, भाई- बहन भी रहे राष्ट्रीय प्लेयर
मंजू को खेल प्रतिभा विरासत में मिली है। मंजू के पिता भगाराम चौधरी राजस्थान पुलिस के राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल प्लेयर रह चुके हैं। मंजू की बड़ी बहन सुनीता राष्ट्रीय स्तर की एथलीट और बड़े भाई ओमप्रकाश वॉलीबॉल के राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। छोटा भाई गौतम राज्य का पदक विजेता खिलाड़ी है।
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पिता के सपनों को किया पूरा
मंजू के पिता पिछले 2 वर्ष से एक्सीडेंट की वजह से बेड पर हैं। जहां पर एक ओर पिता ना तो बोल पाते हैं और ना ही चल फिर पाते हैं। उसके बावजूद भी मंजू ने अपने पिता के सपनों को साकार करते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की वुशु प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर अपने पिता के संघर्ष और सपनों को पूरा किया।
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20 किलो वजन कम किया
मंजू के कोच विनोद आचार्य ने बताया कि मंजू ने जिस वक्त वुशु खेल की शुरुआत की, उस समय उसका वजन लगभग 90 किलोग्राम था। किंतु मेहनत और लगन से इसने अपना वजन 20 किलो कम करते हुए 70 किलोग्राम किया । मंजू का चयन मुक्केबाजी में भी खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों के लिए हुआ। लेकिन मंजू ने अपना खेल वुशु चुना। मंजू जेएनवीयू केंद्र पर पिछले 7 वर्षों से अभ्यास कर रही है। मंजू ने पिछले 5 वर्षों से मुक्केबाजी और वुशु में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों पदक जीते हैं ।
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Source: Jodhpur