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गांवों की सीएचसी में प्रसूति विशेषज्ञ नहीं, निजी अस्पतालों में करवाना पड़ रहा है प्रसव
चिरंजीवी कार्ड, फिर भी निजी में प्रसव पर हजारों का खर्च!

सरकार चिरंजीवी योजना में प्रसव में महिलाओं को नहीं दे रही राहत
सिणधरी. राज्य सरकार की ओर से चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने के बावजूूद प्रसव पीड़ा के दौरान डिलीवरी के समय अस्पताल का खर्च भी प्रसूता को ही वहन करना पड़ रहा है। राजस्थान पत्रिका की पड़ताल में यह बात सामने आई है।

राज्य सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि 15 सौ से अधिक बीमारियों का चिरंजीवी योजना में इलाज किया जा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ सबसे जटिल मुख्य उपचार प्रसूताओं को डिलीवरी के समय चिरंजीवी योजना के तहत लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते डिलीवरी के दौरान प्रसूताओं को निजी अस्पतालों में शुल्क वहन करना पड़ रहा है।

प्रसूता को 15 से 20 हजार का चुकाना पड़ रहा है शुल्क

पत्रिका टीम ने विभिन्न अलग-अलग अस्पतालों से जानकारी जुटाने पर पता चला कि निजी अस्पतालों में एक महीने के अंदर 100 से अधिक महिलाएं डिलीवरी के लिए पहुंचती हैं, लेकिन एक तरफ महिलाओं को प्रसव पीड़ा सहन करनी पड़ती है। दूसरी तरफ अस्पतालों का खर्चा एक डिलीवरी में 15 से 20 हजार रुपए वहन करना पड़ रहा है। फिर भी राज्य सरकार की ओर से महिलाओं के हितों की बात की जाती है, लेकिन स्वास्थ्य योजना में महिलाओं को शामिल नहीं किया गया।

सरकारी अस्पतालों में नहीं महिला चिकित्सक

गौरतलब है कि दूसरी ओर महिलाओं को सीएचसी व पीएचसी में महिला चिकित्सक नहीं होने के चलते डिलीवरी के दौरान मजबूरन निजी अस्पतालों में पहुंचना पड़ रहा है। बाड़मेर जिले के उपखंड क्षेत्र या पंचायत समिति क्षेत्र में अधिकतर सरकारी अस्पतालों में महिला चिकित्सक विशेषज्ञों के पद रिक्त चल रहे हैं, जिसके चलते मजबूरी में महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है। जिसका खर्च देना पड़ता है।

कुछ दिन पूर्व प्रसव पीड़ा के दौरान मैं सरकारी अस्पताल पहुंची थी, लेकिन वहां पर इलाज नहीं होने के कारण निजी अस्पताल का सहारा लिया। वहां पर ऑपरेशन के लिए 15 से 20 हजार की फीस देनी पड़ी।

– कमलादेवी, प्रसूता

सरकारी अस्पतालों में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने के कारण प्रसूता महिलाएं निजी अस्पतालों का सहारा ले रही हैं, जहां डिलीवरी के समय महिलाओं को मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। एक तरफ महिलाएं प्रसव की पीड़ा सहन करती हैं। दूसरी तरफ रकम की भी पीड़ा सहन करनी पड़ रही है। सरकार उन्हें चिरंजीवी योजना में शामिल कर राहत दे।

– रेशम चौधरी, महिला

हमारे पास नहीं आया कोई प्रस्ताव

चिरंजीवी योजना में प्रसूता डिलीवरी का प्लान शामिल नहीं है। यह राज्य स्तर का मामला है। राजस्थान में कहीं पर भी नहीं है। हमारे पास अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया है। जयपुर में आए होंगे तो पता नहीं।

-डॉ. हरेंद्र भाखर, एडिशनल सीएमएचओ बाड़मेर।

Source: Barmer News

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