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जोधपुर. नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा की मुसीबतें कम होती नहीं दिख रहीं। उदयपुर में 10 मई को यूडीएच में रिश्वत प्रकरण में नामजद होने के बाद अब जोधपुर में एक विभागीय अधिकारी की अभियोजन स्वीकृति खारिज करने के मामले में मीणा के खिलाफ लोकायुक्त में परिवाद दर्ज किया गया है। शिकायत में उनके साथ मुख्य नगर नियोजक संदीप दंडवते का भी नाम है।

मामला वर्ष 2008 में जोधपुर के तत्कालीन नगर विकास न्यास की ओर से नियमों के विपरीत ग्राम पाल के खसरा संख्या 375 का ले-आउट प्लान स्वीकृत करने से जुड़ा है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भी इसकी प्राथमिकी संख्या 345/19 दर्ज है। प्रकरण में एसीबी ने तत्कालीन डिप्टी टाउन प्लानर अनिल माथुर, कनिष्ठ लिपिक विश्वजीत रल्हन व अशोक गिरी को दोषी माना था। लेकिन जब एसीबी ने तीनों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी तो विभाग ने आरोपी डीटीपी माथुर के मामले में उन्हीं से ही अभ्यावेदन लेकर और उसी को सही मान स्वीकृति देने से इनकार कर दिया। इसी की शिकायत लोकायुक्त में की गई है।

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नियमों से परे जाकर स्वीकृत हुआ था ले आउट प्लान
पाल गांव के खसरा संख्या 375 का एक ले-आउट प्लान नियमों से परे जाकर स्वीकृत हुआ था। माथुर, रल्हन व गिरी ने इस प्लान को जारी किया था। जांच के बाद एसीबी ने तीनों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी, लेकिन माथुर की अभियोजन स्वीकृति नगरीय विकास विभाग ने यह कहते हुए निरस्त कर दी कि ‘अभियोजन स्वीकृति जारी करने के संबंध में मुख्य नगर नियोजक की जांच रिपोर्ट पर सक्षम स्तर पर हुए निर्णय के अनुसार प्रकरण में किसी प्रकार की कार्रवाई अपेक्षित नहीं है।’ जबकि एसीबी के पत्र में स्पष्ट रूप से बता दिया गया था कि अभियोजन स्वीकृति पर विचार करते समय सक्षम अधिकारी की ओर से ही आरोपित लोक सेवक की सुनवाई का मौका देना, उससे अभ्यावेदन प्राप्त करना एवं उस पर विचार करना या किसी प्रकार की समानांतर जांच करना विधिक प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।

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राज्य सरकार ने रिपोर्ट मांगी थी वो दे दी
राज्य सरकार ने हमसे इस मामले में टिप्पणी मांगी थी। हमने टिप्पणी दे दी। उसके आधार पर सरकार ने क्या किया, हमें नहीं पता। लोकायुक्त में परिवाद दर्ज हुआ तो हमसे भी तो पूछेंगे। हम हमारी बात उनके समक्ष रख देंगे।
संदीप दंडवते, मुख्य नगर नियोजक, जयपुर

Source: Jodhpur

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