राजेन्द्रसिंह देणोक/बाड़मेर. Rajasthan Assembly Election 2023: पाली और जालोर से सटे बाड़मेर जिले के सिवाणा विधानसभा क्षेत्र की यात्रा कई मायनों में खास रही। एक तो 44 डिग्री तापमान और ऊपर से खस्ताहाल सड़कें। पाली से भाद्राजून, रामा, बाला और मोकलसर के रास्ते सिवाणा पहुंचे, तब तक गर्मी और बेहाल सड़कों ने हमारे हाल बेहाल कर दिए। यहां राव कल्ला रायमलोत सर्कल के पास कमरुद्दीन से हमारी मुलाकात हुई। वे बोले, बालोतरा को जिला बनाने की तो हमें खुशी है, लेकिन जिले का फायदा मिलेगा तब मिलेगा, अभी तो पानी के संकट ने जीना मुश्किल कर रखा है। बालोतरा-फलसूण्ड परियोजना सिरे नहीं चढऩे से पूरे क्षेत्र में पेयजल भारी किल्लत हैं। मोकलसर की मटकियां और जूती उद्योग के भी बुरे हाल हैं। सिणधरी रास्ते पर सब्जी की दुकान चला रहीं गीतादेवी भी पानी के हालात पर व्यथित दिखीं।
…तो खमियाजा भुगतेंगे जनप्रतिनिधि
भरी गर्मी में सिणधरी खेतलाजी पैदल जा रहे मायलावास के ग्रामीण बुद्धाराम और गोपाल माली तो बात छेड़ते ही फूट पड़े। बोले, पानी को लेकर हमारे साथ राजनीति हो रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को कोसते हुए कहा कि हालात नहीं सुधरे तो खमियाजा भुगतेंगे। सिणधरी की तरफ आगे बढ़े तो धोरों के बीच अनार के पौधे लहलहाते नजर आए। धारणा गांव में एक खेत के बाहर गाड़ी रोकी तो मोहनसिंह और जबरसिंह से मिलना हुआ। उन्होंने बताया कि यहां फव्वारा पद्धति से कुछ इलाके में अनार की खेती प्रचुर मात्रा में हो रही है। राज्य सरकार की चिरंजीवी और बिजली में छूट योजना को उन्होंने सराहा।
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गुड़ामालानी : सांचौर नहीं, बाड़मेर या बालोतरा में रहेंगे
सिवाणा से सिणधरी होते हुए गुड़ामालानी पहुंचे, तब तक रात हो गई। गर्मी से कुछ राहत मिली। तेल के कुएं और गैस के भंडार वाले इस क्षेत्र में भी परेशानियां कम नहीं है। सांचौर को जिला बनाने के बाद यहां के बाशिंदे असमंजस में हैं। वे बाड़मेर या बालोतरा में रहना चाहते हैं सांचौर में नहीं। हाईवे पर होटल चला रहे मालाराम विश्नोई कहते हैं, नर्मदा के ढींबडी प्रोजेक्ट से गुड़ामालानी क्षेत्र के 451 गांवों को जोडऩे की योजना कई साल से अटकी है। नेहड़ इलाका वर्षों से पानी की बाट जो रहा है। रागेश्वर गैस टर्मिनल में स्थानीय लोगों को रोजगार देने की मांग भी क्षेत्र का बड़ा मुद्दा है। परिवहन के साधनों की कमी और सरकारी विभागों में रिक्त पद क्षेत्रवासियों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।
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चौहटन : ढाई दशक से अधूरा नर्मदा नीर का सपना
चौहटन विधानसभा क्षेत्र के लोगों की शिकायत ये है कि पिछले ढाई दशक से नर्मदा परियोजना से जोडऩे के सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं। मजे की बात यह है कि इस परियोजना के लिए अलग-अलग सरकारों में करीब दो हजार करोड़ रुपए की बजट घोषणाएं भी हुईं, लेकिन पानी का अता-पता नहीं है। बाखासर सता के करणीदान बताते हैं, माइग्रेशन और नमक उद्योग भी यहां का बड़ा मुद्दा हैं। सेड़वा-बाखासर के अधिकतर लोग गुजरात, पंजाब आदि प्रदेशों में रोजगार के लिए पलायन करते हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार के लिए कोई प्रयास नहीं हुए। कच्छ के रण में नमक उद्योग का सब्जबाग भी सियासी भेंट चढ़ा हुआ है।
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Source: Barmer News