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राजेन्द्रसिंह देणोक/बाड़मेर. एक वक्त में यहां नौकरी करने का मतलब था ‘काले पानी की सजा’। अब यह धारणा टूट चुकी है। शहर छोटा है, लेकिन नाम बड़ा। गैस-पेट्रोल, कोयला और सोलर कंपनियों के आने से पिछले वर्षों में यहां काफी कुछ बदला है, नहीं बदली तो सिर्फ मान-मनुहार और अपणायत।

 

गुड़ामालानी और चौहटन होते हुए देर रात तक हम सीधे बाड़मेर जिला मुख्यालय पहुंच गए। ठंडी रात और सीधी-सपाट सड़कों ने हमारे सफर को थोड़ा सुकून दिया। अगले दिन सुबह होटल से निकले तो बस स्टैंड पर महंगाई राहत कैंप में लगी भीड़ पर नजर पड़ी। कैंप में रजिस्ट्रेशन कराने आए लोगों में काफी उत्साह था। यहां से बाजार की तरफ रुख किया तो पालिका बाजार में मोबाइल शॉप मालिक पन्नाराम से मुलाकात हुई। बोले, शहर में कुछ जगह सीवरेज, रोडलाइट और नालियों की समस्या जरूर है। डाक बंगले के बाहर मिले युवा कुणाल बाड़मेर की प्रगति पर संतुष्ट नजर आए। कहने लगे, यहां के लोगों में बालोतरा को जिला बनाने की खुशी तो है, लेकिन शंका यह भी है कि रिफायनरी क्षेत्र बालोतरा में जाने से उन्हें नुकसान न हो जाए। पीजी कॉलेज में व्याख्याताओं की कमी, पुरानी सीवरेज, उपेक्षित रीको औद्योगिक क्षेत्र जैसे मुद्दे भी यहां के बाशिंदों के जेहन में उभरे हुए हैं। बॉर्डर टूरिज्म से यहां रोजगार के अवसर भी पैदा किए जा सकते हैं।

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शिव : सीमावर्ती क्षेत्र में हालात बदलने की दरकार

बाड़मेर से जालीपा होते हुए शिव विधानसभा क्षेत्र का रुख किया। यह सीमावर्ती इलाका है। जैसलमेर मार्ग पर शिव कस्बे में पहुंचे तो बसें और जीपें बीच हाईवे पर ही खड़ी मिली। पूछा तो बताया कि यहां स्थायी बस स्टैंड नहीं है। सब्जी विक्रेता खेताराम का मन टटोला। उन्होंने कहा, पानी की किल्लत यहां भी कम नहीं है। पास ही दुकान चला रहे सरूपाराम का कहना था कि पानी ही नहीं रोजगार भी यहां बड़ी समस्या है। सीमावर्ती इलाके के कई गांव तो ऐसे हैं जिनमें अभी तक बिजली, पानी और चिकित्सा सुविधा तक नहीं है। वीरमसिंह जैसिंधर बताते हैं कि बाखासर से लेकर सुंदरा तक दर्जनों गांवों के लोग किसी भी मुश्किल परिस्थिति में सीमा सुरक्षा बल से ही उम्मीद लगाते हैं।

 

 

भारतमाला के रास्ते बढ़ रही तस्करी

बाड़मेर के लोगों की कद-काठी मजबूत और रौबीली होती है। अब यहां नशा पैर पसार रहा है। भारतमाला के रास्ते तस्करी भी बढ़ रही है। रास्ते में किसी तरह की निगरानी नहीं है। पाकिस्तान से भी तस्करी की आशंका हमेशा रहती है। सीमावर्ती इलाके में तस्करी रोकना बड़ी चुनौती है। सीमाजन कल्याण समिति के जिला प्रचार प्रमुख रघुवीरसिंह तामलोर कहते हैं, हमारे यहां के नौजवानों में देशभक्ति का तापमान सौ डिग्री से ज्यादा है, लेकिन तस्करी और नशा हमारी नस्लें खराब कर रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को सख्ती बरतने की आवश्यता है।

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डेजर्ट नेशनल पार्क ने बढ़ाई परेशानी… योजनाओं से वंचित
शिव और जैसलमेर के बीच हजारों बीघा जमीन डेजर्ट नेशनल पार्क के लिए 1980 से नोटिफाइड है। वर्षों बाद भी यह पार्क पूरी तरह से मूर्त रूप नहीं ले पाया। छुगसिंह गिराब कहते हैं, डेजर्ट पार्क के कारण क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोगों को व्यावहारिक दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। यहां के ग्रामीण सरकार की योजनाओं से वंचित है। वे न तो अपनी जमीन खरीद सकते हैं और न ही बेच। डीएनपी क्षेत्र के किसान कई योजनाओं से वंचित है।

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Source: Barmer News

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