जोधपुर/भोपालगढ़. भोपालगढ़ क्षेत्र के कई प्रगतिशील किसानों ने भी अब खेती में नवाचार करना शुरू कर दिया है और सामान्य गेहूं के साथ क्षेत्र के कुछ किसान काले गेहूं की खेती भी करने लगे हैं। किसानों का दावा है कि इसकी उपज दुगनी और भाव चार गुणा तक मिल रहे हैं। किसानों में काले गेहूं के प्रति बढ़ती रूचि को देखते हुए कृषि व उद्यान विभाग के अधिकारियों ने भी किसानों को प्रोत्साहन देना शुरु किया है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो इस गेहूं का काला रंग एंथ्रोसाइनीन पिगमेंट के कारण होता है और इसका पेटेंट पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नॉलजी इंस्टीट्यूट (नॉबी) के पास है।
गौरतलब है कि भोपालगढ़ क्षेत्र सहित जिले भर में आमतौर पर सामान्य गेंहूं की ही खेती की जाती रही है। लेकिन पिछले दो बरसों से क्षेत्र के रड़ोद गांव में कृषि कार्य करने वाले भोपालगढ़ के युवा किसान स्वरूपराम जाखड़ काले गेहूं की खेती कर रहे हैं। जाखड़ ने बताया कि उन्होंने हरियाणा के कुरुक्षेत्र से 10 किलो बीज मंगवाकर एक बीघा भूमि पर काले गेहूं की खेती शुरू की।
अब तक आमतौर पर गेहूं की 1482 व 3077 किस्म की खेती करते आए हैं, लेकिन पिछली बार नया प्रयोग करते हुए काले गेहूं की खेती शुरू की। इस 10 किलो बीज से करीब तीन क्विंटल उपज हुई और इस बार तीन क्विंटल पूरे बीज की बुवाई की, तो करीब 40 क्विंटल उपज आई। उन्होंने बताया कि काला गेहूं बाजार में आमतौर पर बिकने वाले गेहूं से चार से पांच गुना ज्यादा कीमत पर बिकता है। साथ ही इसकी पैदावार भी दुगनी से ज्यादा होती है।
ज्यादा भाव और ज्यादा ही पैदावार
काश्तकार स्वरूप जाखड़ ने बताया कि गेहूं 1482 व 3077 की एक बीघा में 8 क्विंटल पैदावार होती है। वहीं, काला गेहूं एक बीघा में 12 से 15 क्विंटल की पैदावार देता है। बाजार में यही काला गेहूं 7-8 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिकता है, जो काश्तकार के लिए काफी फायदे का सौदा रहता है। जबकि सामान्य गेहूं का भाव करीब दो हजार रुपए प्रति क्विंटल होता है।
यह है काले गेहूं के फायदे
विशेषज्ञों के अनुसार काले गेहूं में पाए जाने वाला एंथ्रोसाइनीन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है, जो हार्ट अटैक, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है। काले गेहूं रंग व स्वाद में सामान्य गेहूं से थोड़ा अलग होते हैं, लेकिन बेहद पौष्टिक होते हैं। आम गेहूं में एंथोसाएनिन महज 5 से 15 पीपीएम होता है, लेकिन काले गेहूं में यह 80 से 140 पीपीएम के आसपास होता है। काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है। जिंक की मात्रा भी कुछ अधिक पाई जाती है। हालांकि, प्रोटीन, स्टार्च और दूसरे पोषक तत्व समान मात्रा में ही होते हैं।
फायदेमंद है काले गेहूं
काला गेहूं साधारण गेहूं से ज्यादा पौष्टिक है और कैंसर, शुगर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, दिल की बीमारी व तनाव सहित कई बीमारियों में फायदेमंद है। इसकी खूबियों व कम उपज की वजह से ही काले गेहूं की बाजार में अधिक डिमांड रहती है और भाव भी अच्छे मिल रहे हैं। किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए इसकी खेती पर भी ध्यान देना चाहिए।
– रफीक अहमद कुरैशी, सहायक कृषि अधिकारी, भोपालगढ़
अच्छा अनुभव रहा
मैंने कोविड समय में मोबाइल में काले गेहूं की खेती के बारे में देखा और गत वर्ष ऑनलाइन दस किलो बीज मंगवाकर एक बीघा में खेती की। फिर इस बार इसी से मिली उपज का तीन क्विंटल बीज बोया और करीब सौ मण से ज्यादा की उपज हुई है। जोधपुर व अन्य शहरों से खरीद के लिए भी खूब डिमांड आ रही है।
– स्वरूपराम जाखड़, किसान, रड़ोद
Source: Jodhpur