बाड़मेर। गडरारोड़ बॉर्डर का यह वो इलाका है जहां 2 दशक पहले यह तोहमत लगती थी कि बेटियों को पढ़ाया नहीं जाता। समय के साथ बदलाव आते ही जैसे ही मां-बाप और समाज ने बेटियों को अवसर दिया परिणाम देखिए, बॉर्डर के जुड़िया गांव की बेटी रविना राजपुरोहित ने 97.40 अंक हासिल किए है। रविना के यह 97.40 अंक 100 कहे जाएंगे क्योंकि इस बेटी ने अपने गांव जुड़िया में बालिका बारहवीं स्कूल नहीं होने पर 16 किमी दूर हरसाणी गांव तक बस में अपडाउन कर राउमावि में पढ़ाई जारी रखी।
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बेटी ने हासिल किए जिले में सबसे अधिक अंक
परिणाम आया तो वह जिले में अब तक मिले परिणाम में सबसे अप है। रविना के यह अंक पूरे बॉर्डर की बेटियों की पीठ पर शाबासी है,जो अब पढ़ लिखकर आगे बढ़ रही है। रविना के पिता बलवंतसिंह राजपुरोहित निजी विद्यालय में शिक्षक है। सामान्य परिवार की छात्रा के प्रतिदिन दो घंटे अपडाउन में खर्च होते लेकिन शेष बचे समय को उसने पढ़ाई के लिए टाइमटेबल बनाकर व्यय किया।
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परिणाम का श्रेय माता पिता और गुरुजनों को दिया
रविना का कहना है कि इस परिणाम का श्रेय माता पिता और गुरुजनों को देती है। हरसाणी विद्यालय में भी शिक्षकों के कई पद रिक्त होने से समस्या रहती थी लेकिन अन्य गुरुजनों ने सभी विषयों में मार्गदर्शन देकर हौंसला बढ़ाया। रविना प्रशासनिक सेवा में जाने का इरादा रखती है।
Source: Barmer News