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जोधपुर। मुक्केबाजी खेल में पहले खुद ने राष्ट्रीय स्तर पर अपने पंच का लोहा मनवाते हुए राजस्थान पुलिस में नौकरी हासिल की। अब उसी खेल के ’द्रोणाचार्य’ बनकर 6 अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ी के साथ सैंकड़ों राष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार किए है। ये हैं खाकी वर्दी वाले द्रोणाचार्य विनोद आचार्य। आचार्य ने बचपन से ही आर्य वीर दल की शाखाओं में जगदीश प्रसाद आर्य से मुक्केबाजी के गुरु सीखे और वर्ष 1997 में राजस्थान पुलिस में भर्ती हुए। अखिल भारतीय पुलिस मुक्केबाजी प्रतियोगिता में भी प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2006 में अखिल भारतीय पुलिस मुक्केबाजी प्रतियोगिता में नाक की हड्डी फैक्चर होने से मुक्केबाजी को विराम देना पड़ा। वर्ष 2007 से पुलिस लाइन में पुलिस कर्मचारियों के बच्चों को मुक्केबाजी और वुशू खेल का अभ्यास करवाना शुरू किया। तीन खिलाड़ियों से शुरू होकर आज ये राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों का कारवां बन गया है।

मिले कई पुरस्कार
आचार्य को वीर दुर्गादास राठौड़ पुरस्कार, जियो दिल से अवार्ड सहित जिला प्रशासन व विभिन्न संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया गया है। पुलिस कमिश्नर रविदास गौड़, आईपीएस अधिकारी मालिनी अग्रवाल, भूपेंद्र कुमार दक, संजीव नार्जरी, सचिन मित्तल, पी रामजी, बीजू जॉर्ज जोसफ, एनआरके रेड्डी, हवासिंह घुमरिया, विकास कुमार, भुवन भूषण यादव, पूजा यादव, राहुल प्रकाश व गौरव गोयल ने भी आचार्य की प्रशंसा की है। आचार्य पुलिस की कठिन नौकरी के साथ-साथ खेल और खिलाड़ियों को राष्ट्र के लिए तैयार करना अपना प्रथम उद्देश्य मानते हैं।

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5 बेटियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीते पदक
जेएनवीयू के पुराना परिसर में आचार्य प्रतिदिन 150 से अधिक खिलाड़ियों को निशुल्क मुक्केबाजी और वुशू का अभ्यास करवा रहे हैं। मुक्केबाजी में अर्शी खानम ने 5 बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है, वहीं वुशू में मंजू चौधरी, कामाक्षी आचार्य, मेघा गोदारा व दीपशिखा पोटलिया ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं। इसके अलावा करीब 60 से अधिक खिलाड़ियों को खेल कोटे से सरकारी नौकरी मिली है।

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Source: Jodhpur

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