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पाली पत्रिका. पाली से सोजत की ओर आगे बढ़े तो हल्की बारिश में मेहंदी की भीगी-भीगी खुशबू..आहा। यह पौधा 100 साल तक उपज देता है, पड़दादा लगाता हैै और पडपोते तक फसल लेते है। मेहंदी को जीआइ टैग ने इसे ब्राण्ड बना दिया है। विदेशों तक सोजत की मेहंदी पहुंचती है। 125 से अधिक युनिट लगी है और एक लाख लोगों की जिंदगी में आर्थिक रंग मेहंदी ने रचा हुुआ है। जेतारण कस्बा जमीनों के आसमान पर चढ़ रहे दाम की कमाई से मालामाल हो रहा है।
सोजत मेहंदी:100 साल पौधा नहीं जाता
भैराराम कहते है कि मेहंदी को जीआइ टैग का ब्राण्ड मिल गया। 18 प्रतिशत जीएसटी कम कर दी लेकिन समर्थन मूल्य नहीं मिलता तब तक कोई फायदा नहीं। मेहंदी का संघर्ष नकली व केमिकल उत्पादों से बढ़ा है। राजेश अग्रवाल यहां ट्रोमा वार्ड की जरूरत बताते है। चिकित्सक कम है तो नि:शुल्क योजना का लाभ नहीं मिलता, चिंरजीवी योजना को वरदान बताया। कन्हैयालाल ओझा ने कहा लम्पी फिर आ रहा है, वैक्सिनेशन की तुरंत जरूरत है। मदन मोदी और अन्य ने समूह ने सोजत को जिला बनाने की ताईद की, तर्क दिया यहां पहले हाकिम बैठता था तो अब कलक्टर क्यों नहीं? सोजत से रवाना हुए तब तक रिमझिम बारिश ने घेर लिया..आगे जेतारण की ओर बढऩा है।
मगरा विकास बोर्ड काम करे
सोजत से आगे जेतारण की ओर बढ़ते है तो बर-ब्यावर की घाटियों से जुड़ा इलाका सेंदड़ा आता है, जो मगरा इलाका है। जेतारण के दो भाग है मैदान और मगरा। मगरा में 21 ग्राम पंचायते है,जो विधानसभा का अलग इलाका ही कहा जाएगा। सेंदड़ा के सरपंच रतनसिंह कहते है कि यहां मगरा विकास बोर्ड बना है, इसको बजट और काम दें तो इन ग्राम पंचायतों में काम हों। पांच पंचायतों में एक एएनएम है। बोरवाड़ा के गोविंदसिंह बताते है कि रींछ और पेंथर के हमले यदाकदा होत है, पशुधन का शिकार ये जंगली जानवर करते है। पचानपुरा के केसरसिंह कहते है कि यहां पाइप लाइन तो बिछा दी है लेकिन घर-घर नल के लिए जवाई का पानी नहीं पहुंच रहा है। पानी की बड़ी किल्लत है। पोदीना और धनिया इस इलाके प्रसिद्ध है, खेती को पूरा पानी मिले तो महक समूचे इलाके में फैले।
ये क्या, ऑपरेशन कर दिया रोड दिख रही
जेतारण पहुंचते-पहुंचते रात हो गई। करीब 8.15 बज गए थे। अस्पताल प हुंच गए। सीएचसी की हालत देखकर लगा कि यहां कोई धणी-धोरी नहीं है। ऑपरेटिव वार्ड में पहुंचे तो यहां पांव में रोड का ऑपरेशन करवाकर लासणी का सुखदेव बैठा था,उसकी मां पास थी। वह पट्टी हटाकर घाव दिखाते हुए बोला- रोड दिख रही है, यह क्या ऑपरेशन किया है। वो बताता है चिंरजीवी योजना में पैसा तो नहीं लगा। अस्पताल से एक बुजुर्ग मरीज के नली लगी हुई थी और घर जाने को कहा, वह अपने परिजनों के कंधे के सहारे चल रहा था, स्ट्रेचर नहीं थी। अस्पताल में जवाबदेह कोई नहीं मिला।
जमीन के दाम जोधपुर से आगे
जेतारण के पास ही उचारड़ा में एक ग्रामीण से बात हुई। यहां जमीन के दाम सुुनकर अचंभा हों, इतने तो जोधपुुर में भी नहीं। दुकानों की कीमतें लाखों-करोड़ों में बताई। कस्बे आसपास की जमीन बीघा 70 लाख से शुरू होता है। मेहंदी यहां पर भी खेतों में है। कोटा-बिहार और मध्यप्रदेश के मजदूर जोड़े(दंपती) आते है और हजार रुपए दैनिक मजदूरी पर काम करते है। जेतारण से रवाना होते-होते रात हो गई, सड़क हाइवे है। यह सुख पूरे मारवाड़ को हैै, सड़कें चमाचम।

Source: Barmer News

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