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जोधपुर। स्प्रिट निर्मित नकली शराब बनाने के आरोपी ने 20-25 हजार लीटर स्प्रिट से भरा टैंकर खरीदने की जानकारी देकर आबकारी महकमे के कान खड़े कर दिए हैं। बड़ी मात्रा में अवैध स्प्रिट की खरीद-फरोख्त से आबकारी निरोधक दल को आशंका थी कि यह स्प्रिट श्रीगंगानगर शुगर मिल जीएसएम में सप्लाई होने वाला तो नहीं था। हालांकि अब तक की जांच के बाद आबकारी विभाग का दावा है कि वह टैंकर जीएसएम का नहीं था।

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टैंकरों से छोटी-छोटी मात्रा में चुराते हैं स्प्रिट

नकली शराब बनाने के लिए तस्कर अवैध स्प्रिट काम लेते हैं। यह स्प्रिट औद्योगिक इकाई अथवा जीएसएम में सप्लाई होने वाले टैंकरों से चुराई जाती है। अमूमन प्रति टैंकर से बीस-तीस लीटर स्प्रिट चुराई जाती है। इसी से नकली शराब बनाई जाती है।

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अंदेशे का प्रमुख कारण

एक साथ स्प्रिट से भरा टैंकर अवैध रूप से खरीदना काफी मुश्किल माना जाता है। इसलिए आबकारी विभाग को अंदेशा था कि नकली शराब बनाने के आरोप में गिरफ्तार भाटेलाई पुरोहितान निवासी राणाराम ने स्प्रिट से भरा टैंकर खरीदा था वो जीएसएम में सप्लाई तो नहीं होना था। अमूमन स्प्रिट की सप्लाई पंजाब व हरियाणा से होती है। वहां से निकलने वाले टैंकरों से ही स्प्रिट की चोरी होती है और फिर इन्हीं से नकली शराब बनाई जाती है।

चार दिन में पहुंचना होता है टैंकर, 8 दिन खड़ा रहा

आबकारी विभाग का कहना है कि जीएसएम के लिए आने वाले स्प्रिट से भरा टैंकर पूरी निगरानी में होता है। उस पर जीपीएस लगा होता है। फैक्ट्री से निकलने के बाद चार दिन में उसे जीएसएम पहुंचना जरूरी है। देरी होने पर चालक या कम्पनी के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई की जाती है। आरोपी राणाराम ने स्प्रिट से भरा जो टैंकर खरीदा था, वह सात-आठ दिन तक मण्डोर रोड पर आठ मील के पास खड़ा रखा गया था। उसके बाद आरोपी अपने ठिकाने पर ले गया था।

इनका कहना है

आरोपी राणाराम बिश्नोई ने पूछताछ में स्वीकार किया था कि उसने स्प्रिट से भरा टैंकर खरीदा था। पहले यह आशंका थी कि यह स्प्रिट से भरा टैंकर जीएसएम में सप्लाई तो नहीं होना था, लेकिन अब तक जांच में यह पुष्टि नहीं हुई है। आरोपी ने फर्जी दस्तावेज बनाकर स्प्रिट से भरा टैंकर मंगाया होगा। एक अन्य आरोपी के पकड़े जाने पर और खुलासा हो सकेगा।

ताहिर अंजुम, जिला आबकारी अधिकारी, जोधपुर

Source: Jodhpur

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