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मानसून रेगिस्तानी इलाकों में जमकर बरसा है। इसके कारण वनस्पति हरी और भूमि में नमी है, जो टिड्डियों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बना रही है। वहीं गत 1-15 जुलाई के पखवाड़े के सर्वे में राजस्थान में बीकानेर जिले के सुरधना में टिड्डी की गतिविधियां देखी गई। इसके चलते खतर की घंटी बज गई है। विभाग का मानना है कि सर्वे में मिली टिड्डी का घनत्व कम है। इसलिए अभी ज्यादा खतरा नहीं कहा जा सकता है।

रेगिस्तानी क्षेत्रों में जून-जुलाई में बरसात के बाद से ही टिड्डी का खतरा बढ़ जाता है। थार में टिड्डी पाक की तरफ से आती रही है। लेकिन अभी तक टिड्डी कहीं नजर नहीं आने से राहत है। लेकिन सर्वे में राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में भारी बरसात के चलते टिड्डी के पनपने के लिए पारिस्थितिक परिस्थितियां पूरी तरह अनुकूल है। जानकार मानते हैं कि टिड्डी बीकानेर में दिखी है तो यह कहीं भी पनप सकती है और आने वाले महीनों में बड़ा खतरा बन सकती है।
यहां पर 155 स्थानों पर सर्वे
राजस्थान और प्रदेश की सीमा से लगते गुजरात के कुछ इलाके में नियमित रूप से चलने वाले सर्वेक्षण के तहत कुल 155 स्पॉट देखे गए। एक पखवाड़े के सर्वे में राज्य के रेगिस्तानी इलाकों बाड़मेर, जैसलमेर, सम, फलौदी, बीकानेर, सूरतगढ़, चूरू, नागौर, जोधपुर व जालोर तथा गुजरात के पालनपुर और भुज के स्पॉट शामिल किए गए। जिसमें बीकानेर के सुरधना में वयस्क टिड्डी देखी गई।
टिड्डी की ग्लोबल गतिविधियां
एफएओ के अनुसार मोरक्को और पश्चिमी सहारा में एटलस पर्वत के दक्षिण में वयस्कों के समूह की मौजूदगी मिली। अल्जीरिया के मध्य सहारा में वयस्क समूह और कुछ हॉपर दिखे। बिखरे हुए वयस्क और कुछ छोटे समूह मॉरिटानिया की उत्तरी सीमा में चले गए। वहीं सऊदी अरब में लाल सागर तट और आंतरिक भाग पर हॉपर और वयस्कों के समूह और बैंड नियंत्रित किए गए। इरिट्रिया के लाल सागर तट व मिस्र में दक्षिण-पूर्व लाल सागर तट और दक्षिणी नील घाटी में कुछ समूहों के साथ बिखरे हुए वयस्क मौजूद है।

Source: Barmer News

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