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बाड़मेर. शायद सुनकर विश्वास नहीं हो कि कोई 27 अलग-अलग भाषाओं में गीत गा सकता है। लेकिन यह हकीकत है। मूलत: जोधपुर के कुलदीप प्रजापत ने यह करिश्मा कर दिखाया है। उनका नाम सर्वाधिक भाषाओं में गीत गाने के लिए इंडिया बुक ऑफ रेकार्ड में दर्ज किया है।

कई कंपनियों में काम कर चुके कुलदीप को बचपन से गाने का शौक है। बाल कलाकार के रूप में कला जत्था का हिस्सा रह चुके हैं। पहले पढ़ाई पूरी करते हुए एमएससी तक अध्ययन किया।

इसके बाद अलग-अलग कंपनियों में काम करते हुए विभिन्न प्रदेशों के लोगों के संपर्क में आए और यहीं से उनके अन्य भाषाओं को जानने के साथ उनके प्रसिद्ध गीतों का गाने का सिलसिला शुरू हुआ। प्रारंभ में कठिनाई आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

सबसे कठिन भाषा उनको तमिल लगती थी और इसी से उन्होंने शुरूआत की। यहां से उन्होंने अलग-अलग भाषाओं में गीत रेकार्ड कर सोशल मीडिया पर अपलोड किए। जहां पंसद आने पर यह सिलसिला चल निकला।

27 भाषाओं में गाते हैं गीत

कुलदीप विभिन्न 27 भाषाओं में गाते हैं। जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलूगु, संन्थाली, गढ़वाली, पंजाबी, हरयाणवी, गुजराती, असमी, बंगाली, भोजपुरी, राजस्थानी, ब्रजभाषा, छतीसगढ़ी, काठियावाड़ी, मैथली, कोंकणी, मलयालम, उडिय़ा, अवधी, मगधी और सिन्धी में गीत गाकर यह रिकार्ड बनाया है। प्रजापत भारत के पहले व्यक्ति हैं जो 27 भाषाओं में गीत गा सकते हैं।

जोधपुर में जन्म पाली में शिक्षा

मूलत: जोधपुर के मसूरिया के रहने वाले कुलदीप ने शिक्षा पाली में पूरी की। इसके बाद अलग-अलग कंपनियों में काम किया। वर्तमान में बाड़मेर में जेएसडब्ल्यू में कार्यरत हैं। पिछले आठ साल से बाड़मेर में निवासरत हैं।

मिमिक्री के साथ कलाकार भी

बाड़मेर रामलीला कमेटी से जुड़े कुलदीप बताते हैं कि वे मिमिक्री भी करते हैं। साथ ही रामलीला में सुलोचना, मंथरा, और त्रिजटा आदि के रूप में अभिनय करते रहे हैं।

अब विदेशी भाषाओं में गाने

भारतीय भाषाओं में गाने के बाद कुलदीप चायनीज, मलेशियन, नेपाली, रोमानियन व टर्की भाषा में गीत गा रहे हैं।उनका कहना है वे अलग-अलग भाषाओं में गीत गाकर अनेकता में एकता का संदेश दे रहे हैं।

Source: Barmer News

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