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Education Department Rajasthan: Government of Rajasthan: दिलीप दवे बाड़मेर. कभी सर्वे तो कोई शिविर। किसी दिन खेल आयोजन का जिम्मा तो किसी दिन कोई प्रशिक्षण। इनसे समय मिला तो स्कूल और विद्यार्थियों से जुड़ी योजनाओं के कार्य निपटाने एवं गतिविधियों में गुरुजी व्यस्त रहे। नए शिक्षा सत्र के पहले दो माह तो सरकारी विद्यालयों के अध्यापकों के इसी में गुजर गए हैं। बाकी बचे-खुचे समय में नाममात्र की पढ़ाई हुई। नया शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद सरकारी विद्यालयों के शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य ही निपटा रहे हैं। रही-सही कसर ग्रामीण एवं शहरी ओलम्पिक ने पूरी कर दी है। पहले सत्र की शुरुआत के दो ढाई महीनों में केवल विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिताओं से जुड़ा कामकाज ही होता था। इस बार तो विद्यालयी खेलकूद से पहले ही कई सप्ताह से शिक्षक ओलम्पिक खेल आयोजन में व्यस्त हैं। शिक्षक संगठनों के अनुसार तीन से चार दर्जन तरह की गतिविधियां एवं कार्यों की जिम्मेदारी शिक्षकों पर हैं। इनमें करीब आधी तो ऐसी हैं जिनका अध्यापन कार्य व विद्यार्थियों से सीधा कोई वास्ता नहीं है।

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ऐसे कार्य जिनका पढ़ाई से कम वास्ता

पिछले दो माह में शिक्षकों ने अध्यापन से इतर तीन दर्जन से भी ज्यादा ऐसे कार्य किए हैं, जिनका पढ़ाई से ज्यादा कोई वास्ता नहीं था। शिक्षकों ने हाउस होल्ड सर्वे, महंगाई राहत शिविर, प्रशासन गांवों के संग शिविर, युवा महोत्सव, एफएलएन व प्रधानाचार्य प्रशिक्षण, गुड टच, बैड टच प्रशिक्षण, आईपीआर अचल सम्पत्ति, स्वीप कार्यक्रम, मतदाता जागरूकता, दूध वितरण, मोबाइल वितरण, सड़क सुरक्षा व संविधान की शपथ, आधार ऑथेंटिकेशन, जनाधार ऑथेंटिकेशन आदि कार्य संपादित किए हैं।

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ये कार्य निरंतर जारी

कई ऐसे कार्य हैं जो शिक्षकों के नियमित रूप से एवं निरंतर जिम्मे हैं। हालांकि यह कार्य व गतिविधियां शिक्षा से ही जुड़ी हुई हैं। इनमें आईसीटी लैब, ब्रॉड बैंड कनेक्शन, नवोदय फॉर्म, इंस्पायर अवार्ड, नो बैग डे, अब्दुल कलाम व्यक्तित्व विकास योजना, नि:शुल्क पुस्तक वितरण, उड़ान सैनेटरी नेपकिन योजना, डिजिटल प्रवेशोत्सव, विधानसभा प्रश्न, शाला सिद्धि, उपचारात्मक शिक्षण, छात्रवृत्ति, पालनहार योजना, आपकी बेटी योजना, राजश्री, यशस्वी योजना, दीक्षा पर कॉइन इकट्ठा करो योजना, विफ्स टेबलेट वितरण योजना, ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना, डायल फ्यूचर योजना, बोर्ड आवेदन फॉर्म, शाला दर्पण पर विद्यार्थी उपस्थिति, स्टाफ उपस्थिति आदि हैं।

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गैर शैक्षणिक कार्यो से मुक्ति मिले

का मूल कार्य अध्यापन है। लेकिन वर्तमान में शिक्षकों के जिम्मे इतने गैर शैक्षणिक कार्य दिए जा रहे है कि पढ़ाने के लिए समय ही नहीं बचता है। लगातार गैर शैक्षणिक कार्यो में व्यस्त रहने के कारण शिक्षक अपने मूल कार्य से भटकते जा रहे है। जिसके कारण पढ़ाई बाधित होती है जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। -बसन्त कुमार जाणी, जिलाध्यक्ष, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा

 

Source: Barmer News

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