जोधपुर। नाबालिग से छेड़छाड़ व बलात्कार को सबसे गंभीर अपराधों में से एक माना जाता है। पुलिस कमिश्नरेट जोधपुर व जोधपुर ग्रामीण में जनवरी 2023 से अब तक 185 एफआइआर पोक्सो एक्ट में दर्ज हो चुकी है। आश्चयर्जनक रूप से पुलिस अनुसंधान में इनमें से 21 प्रतिशत मामले झूठे पाए गए हैं। पुलिस ने 39 एफआइआर अदम वकू यानि झूठ में एफआर लगाकर कोर्ट में पेश की है।
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185 एफआइआर दर्ज, 74 में चालान
जोधपुर जिले में कमिश्नरेट व जोधपुर ग्रामीण इस साल अब तक पोक्सो की धाराओं में 185 एफआइआर दर्ज करवाई जा चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में कुछ अधिक है। इनमें से 74 मामलों में चालान पेश किए जा चुके हैं। जबकि 39 मामलों में एफआर लगी है। अन्य मामलों की जांच चल रही है। बलात्कार खासकर नाबालिग से बलात्कार व छेड़छाड़ के मामलों में पीडि़ता के सीआरपीसी की धारा 164 के बयान सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। जो मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करवाए जाते हैं। उसी के आधार पर पुलिस अग्रिम कार्रवाई करती है।
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इन बयानों में पीड़िता यदि एफआइआर में दर्ज आरोप दोहराती हैं अथवा बलात्कार या प्रताड़ना के आरोप लगाती हैं तो पुलिस आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करती है। यदि पीडि़ता एफआइआर में दर्ज आरोपों के अलावा या आरोपी के पक्ष में बयान देती है तो पुलिस मामले को झूठा मानकर एफआर लगाती है। पोक्सो के मामलों में पुलिस जांच के बाद कोर्ट में चालान पेश करती है। जिसमें डीएनए जांच और एफएसएल जांच रिपोर्ट भी शामिल होती है। एक-दो मामलों में पीड़िता कोर्ट में बयान से पलट गई थी, लेकिन डीएनए जांच रिपोर्ट रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने आरोप सही मानकर आरोपी को सजा भी सुनाई है।
आंकड़ों की नजर में पोक्सो के मामले…
जिला-कुल दर्ज- चालान-एफआर
जोधपुर पश्चिम-61- 15- 20
जोधपुर पूर्व- 39- 16- 7
जोधपुर ग्रामीण- 85- 43- 12
(यह आंकड़े वर्ष 2023 में जनवरी से अगस्त तक की अवधि के हैं। जोधपुर पूर्व जिले के आंकड़े जुलाई तक के हैं।)
गत वर्ष की तुलना में पोक्सो की धाराओं में इस साल अधिक मामले दर्ज हुए हैं। यही वजह है कि कुछ मामले झूठे भी निकले हैं। उच्चाधिकारी के निर्देशन में इनकी जांच होती है। सीआरपीसी की धारा 164 में दर्ज बयानों में आरोपों की पुष्टि नहीं होती है। कुछ मामले झूठे निकले हैं। एडीसीपी से पूरी तरह जांच व तस्दीक के बाद एफआर लगाई जाती है।’
गौरव यादव, पुलिस उपायुक्त पश्चिम जोधपुर
Source: Jodhpur