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दिलीप दवे बाड़मेर. अभी पितृपक्ष चल रहा है और लोग अपने पितृों का तृपण, श्राद्ध करके उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना कर रहे हैं लेकिन दूसरी ओर कई परिवार ऐसे हैं जो अपने पितृरों की अस्थियां ले जाना ही भूल गए और वे सालों से बाड़मेर के श्मशानघाट में गंगा विसर्जन कर तृत्प होने का इंतजार कर रही है। हालात यह है कि श्मशानघाट में अस्थियां रखने के लॉकर भर चुके हैं और अब अस्थियां पाट, बॉक्स में रखी जा रही है। यहां 174 लॉकर है और 225 से ज्यादा अस्थि कलश रखे हुए हैं।
बाड़मेर शहर के मोक्षधाम सार्वजनिक श्मशानघाट में 174 पितृरों को मोक्ष का इंतजार है। यहां आठ अलमारी है जिसमें करीब 174 लॉकर है जो सभी फुल हो चुके हैं। इनमें से आधे लॉकर तो आठ से दस साल से बंद है। क्योंकि परिजन अस्थियां लॉकर में डाल कर चले गए। इन तालों पर जंग लग चुका है।

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कोरोनाकाल की अ धिकांश अस्थियों के नहीं वारिस- कोरोनाकाल में बाड़मेर में काफी मौतें हुईं, इनमें से चालीस मौतें ऐसी है जिनकी अस्थियां परिजन का इंतजार कर रही है कि वे आएंगे और उनको मोक्ष प्रदान करेंगे, लेकिन इनके वारिस ही नहीं मिल रहे। ऐसे में कोरोनाकाल की अस्थियां एक लकड़ी के पाट पर सुरक्षित रखवाई हुई है। मजबूरी में अस्थियों को अब लोहे के पीपाें, बक्से और प्लास्टिक के डिब्बों में रखा जा रहा है।
समिति करवाएगी गंगा विसर्जन- श्मशानघाट विकास समिति ने अपील की कि परिजन को स्मरण हो तो पितृकार्य के लिए अस्थियां ले जाएं नहीं तो अस्थियों से फुल लॉकर की समस्या के समाधान लिए इस श्राद्ध पक्ष में हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप बीकानेर के सहयोग से हर की पौड़ी हरिद्वार में इन अस्थियों का विसर्जन करवाया जाएगा।

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परिजन ले जाएं अस्थियां- सार्वजनिक श्मशानघाट में अस्थियाें के लिए बने लॉकर फुल हो चुके हैं। 174 लॉकर है और करीब 225 अस्थि कलश यहां रखे हुए हैं। अब अस्थियां रखने में परेशानी आ रही है। परिजन से अपील है कि वे अपने पितृरों की अस्थियां लेकर जाएं अन्यथा समिति हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप बीकानेर के सहयोग से इनका विसर्जन गंगा में करवाएगी।- भैरूसिंह फुलवारिया, संयोजक श्मशान विकास समिति, बाड़मेर

Source: Barmer News

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