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सौरभ पुरोहित, जोधपुर। आज सत्ता में आने के बाद कार्यकर्ताओं को अकसर यह कहते सुना जाता है कि माननीय हमारे काम ही नहीं कर रहे, लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब जनप्रतिनिधि कार्यकर्ताओंं के काम के लिए मंत्री-अफसरों से अड़ जाते थे। शहर विधानसभा से विधायक रहे कैलाश भंसाली का ऐसा ही एक किस्सा आज भी मशहूर है। भाजपा की सरकार होने के बावजूद पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं के निकटतम परिजन के तबादले नहीं हो पाए।

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तबादलों पर हटे बैन के दौरान विधायक ने भरसक प्रयास किया, लेकिन सड़क दुर्घटना में चोटिल होने के कारण वे जयपुर नहीं जा पा रहे थे। जयपुर में उनके पत्रों की सुनवाई नहीं हुई। इसी दौरान नगर निगम चुनावों की आचार संहित लग गई और कार्यकर्ता काफी आक्रोशित हो गए। एक कार्यकर्ता अपनी माता का तबादला नहीं होने से आक्रोशित और भावुक हो गया।

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कार्यकर्ता को लेकर पहुंच गए जयपुर
आचार संहिता हटी तो वे स्वयं कार्यकर्ता को लेकर जयपुर पहुंचे। चिकित्सा विभाग के मंत्री राजेंद्र राठौड़ से मिले और नाराजगी जताते हुए ओळबा भी दिया। कार्यकर्ता की पीड़ा का निराकरण उसी दिन करने की बात पर अड़ गए। मंत्री ने विभागीय अधिकारी को तबादला आदेश जारी करने के निर्देश दिए। विधायक भंसाली विभागीय अधिकारी के कक्ष में पहुंचे तो अधिकारी ने जल्द आदेश जारी करने का आश्वासन देकर उन्हें रवाना करना चाहा, लेकिन वे अधिकारी के कक्ष में ही बैठ गए और आदेश लेकर जाने पर अड़ गए। आखिरकार विभागीय अधिकारियों को उसी दिन तबादला आदेश जारी करना पड़ा।

Source: Jodhpur

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