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जोधपुर। पांच साल में महंगाई बढ़ी है। यह बात सही है। इसीलिए चुनाव आयोग ने भी इस बार विधानसभा चुनाव में हर प्रत्याशी की खर्च सीमा भी बढ़ा दी है। अब हर प्रत्याशी को 12 लाख रुपए ज्यादा मिलेंगे, लेकिन उनकी जेब काटने के लिए इस बार सोशल मीडिया भी तैयार बैठा है। प्रचार के जितने नए तरीके सामने आ रहे हैं उतने ही चुनाव आयोग की जद में भी आ रहे हैं। चुनावी खर्च सीमा को चुनाव आयोग ने इस बार 40 लाख रुपए कर दिया है। पिछली बार यह सीमा 28 लाख रुपए थी। करीब 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी इन पांच साल में की गई है। साथ ही पारम्परिक खर्च के साथ ही कई तरह के खर्च भी इसमें जुड़ने वाले हैं।

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खर्च बढ़ाने के नए तरीके
– बल्क एसएमएस और बल्क वॉटसएप : यह फीचर पिछले चुनाव में आ गया था और 2019 के लोकसभा चुनाव में इसको लेकर गाइडलाइन भी जारी हो गई थी। इसे पिछली बार खर्च सीमा में बड़े स्तर पर शामिल नहीं किया गया था, लेकिन इस बार इसे बड़े खर्च के तौर पर देखा जाएगा।
– वाटसएप वॉयस मैसेज : कई कंपनियां इस बार बल्क मैसेज की तर्ज पर वाटसएप वॉयस मैसेज के प्लान भी दे रही हैं। इसको भी खर्च में शामिल किया जाएगा।
– सोशल मीडिया पर किसी प्रकार का पोल भी चलाने पर उस पर मॉनिटरिंग होगी।
– प्रत्याशी यदि किसी यूट्यूब या सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर इंटरव्यू करवाता है तो उसको भी पेड न्यूज की श्रेणी में जोड़ा जाएगा और वह उसके चुनावी खर्च में जुड़ेगा।
– किसी प्रकार की सोशल मीडिया अपील या बैनर भी खर्च में जोड़े जाएंगे।

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सामान्यत: इन चीजों पर खर्च करते हैं बजट
अब से पहले तक चुनावों में टेंट के सामान, कार का किराया, खाने के खर्च और प्रचार पर बजट लगाया जाता था। इसमें लगने वाली कुर्सी से लेकर सोफा सेट, पानी के केन से लेकर खाने की प्लेट तक के रुपए फिक्स किए गए हैं। इसके अलावा प्रचार पर झंडे और बैनर तक के रुपए का हिसाब चुनाव आयोग को देना होता है।

Source: Jodhpur

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