भीख भारती गोस्वामी
गडरारोड/बाड़मेर। Rajasthan Assembly Election 2023 : देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन बाड़मेर जिले के सरहदी गांवों में अभी भी मतदान के लिए ग्रामीणों को पैदल, ऊंट या ट्रैक्टर का सहारा लेना पड़ता है। मतदान दलों को भी ऊंट से अपने बूथ पर जाना पड़ता है। जिले में सुंदरा, रोहिड़ी, बिजावल, द्राभा, खबड़ाला, रतरेड़ी कला, बंधड़ा, रोहिड़ाला ग्राम पंचायतों में ऐसे कई स्थान हैं, जहां बूथ तक पहुंचने के लिए पैदल, ऊंट या ट्रैक्टर का सहारा लेना पड़ता है। विधानसभा चुनाव 2018 में दो दर्जन से अधिक पोलिंग बूथ पर पोलिंग पार्टियां ऊंटों पर सवार होकर पंहुची थीं। इस बार अभी तक पोलिंग बूथों की सूची जारी नहीं हुई है लेकिन प्रशासनिक अमला जानता है कि धोरे पार करना बिना ऊंटों के मुश्किल होगा।
कुछ जगह सहज हुआ: अधिकांश गांवों में ग्रेवल सड़कों का निर्माण हुआ है। जिससे आवागमन सहज हुआ है लेकिन अभी भी ऐसे कई गांवों में आधी अधूरी ग्रेवल सड़कें हैं।
ग्रामीण बोले..
नेता वोट के समय जरूर याद करते हैं। बाद में कोई नहीं आता। इस कारण गांवों का विकास महज सपना बना हुआ है। सड़क, पानी, बिजली की सुविधाएं मिलें तो इन गांवों के भी दिन बेहतर हो जाएं।- भूरसिंह सोढा, पाक विस्थापित ग्रामीण, सिरगुवाला
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हमारे गांव गड़स तक पहुुचने के लिए आज भी ऊंट, ट्रैक्टर का सहारा लेना पड़ता है। मतदान के दिन पोलिंग बूथ तक पैदल या ऊंटों पर जाना मजबूरी है। जिसके कारण कई लोग मतदान ही नहीं करते हैं।- गेनसिंह सोढा, निवासी गड़स ग्राम पंचायत, बिजावल
हमारे गांव झणकली से ऊनरोड़, झणकली से जानसिंह की बेरी, दूधोड़ा, बालेबा, भाडली, नीमली जाने के लिए अभी भी ऊंटों या टेक्ट्रर का सहारा लेना पड़ता है। कुछ जगह ग्रेवल सडक़ें बनाई गई लेकिन वो भी रेत में दब गई या बरसात में टूट कर बिखर गई है।- मांगीदान चारण, वाहन चालक, ग्राम पंचायत झणकली
Source: Barmer News