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जोधपुर। विधानसभा चुनाव में वैसे तो हर बार सीधी टक्कर कांग्रेस-भाजपा के बीच ही होती है, लेकिन निर्दलीय और अन्य दल इनकी जीत-हार को प्रभावित जरूर करते हैं और जीत-हार की गणित का खेल बिगाड़ भी देते हैं। पिछले चुनाव में पांच सीटों पर इनका अहम रोल था। जिस सीट पर निर्दलीयों व अन्य दलों ने ताल ठोकी वहां उनका वोट शेयर भी 20 से 35 प्रतिशत रहा। आरएलपी ने तो एक विधायक तक जिले में बना लिया। इस बार भी ये बड़ा रोल अदा करेंगे। आरएलपी के अलावा इस बार आम आदमी पार्टी भी अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।

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इस बार आरएलपी का बढ़ सकता है वोट शेयर
इस बार आरएलपी पिछली बार से ज्यादा ताकतवर बनकर उभर सकती है। पार्टी पिछली बार से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। लूणी, बिलाड़ा और भोपालगढ़ जैसी सीटों पर तो टक्कर की संभावना है। साथ ही इस बार सूरसागर, ओसियां और लोहावट में भी अन्य दलों के उम्मीदवार चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं।

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36 प्रतिशत वोट शेयर लेकर एमएलए बने
भोपालगढ़ विधानसभा सीट से आरएलपी के पुखराज गर्ग विधायक बने। इनको 36 प्रतिशत वोट शेयर मिला। यहां कांग्रेस के भंवर बलाई दूसरे और भाजपा की कमसा मेघवाल तीसरे स्थान पर रहीं।

बिलाड़ा में गेमचेंजर रही
बिलाड़ा सीट पर पिछली बार आरएलपी गेमचेंजर रही। यहां आरएलपी के विजेन्द्र झाला को 37 हजार से ज्यादा वोट मिले और 20 प्रतिशत वोट शेयर रहा। इस सीट पर कांग्रेस के हीराराम मेघवाल जीते लेकिन जीत का अंतर 9 हजार के करीब रहा।

लूणी में तीसरे मोर्चे को मिले 23 प्रतिशत वोट
लूणी में आरएलपी के भंवरलाल सांई और बसपा के पप्पूसिंह ने मिलकर 23 प्रतिशत वोट शेयर लिया। यानि दोनों को 53 हजार से ज्यादा वोट मिले। यह कई मायनों में चुनाव परिणाम प्रभावित करने वाला रहा। यहां कांग्रेस के महेन्द्र बिश्नोई 9 हजार से कम मतों से जीते।

फलोदी, शेरगढ़ व ओसियां भी प्रभावित
फलोदी विधानसभा सीट पर कुम्भसिंह पातावत ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा। इन्होंने 28 प्रतिशत वोट शेयर लिया। बीजेपी के पब्बाराम बिश्नोई जीते, लेकिन अंतर 9 हजार से भी कम रहा। इसी प्रकार शेरगढ़ में तगाराम भील ने आरएलपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और 11180 वोट लेकर 5 प्रतिशत वोट शेयर लिया। ओसियां में भी महेन्द्रसिंह भाटी ने 37 हजार से ज्यादा वोट लिया और वोट शेयर 20 प्रतिशत के करीब रहा।

Source: Jodhpur

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