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अपर सेशन जज (महिला उत्पीड़न) सुषमा पारीक ने फर्जी अधिकारी बन कर महिला से दुष्कर्म करने के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। इसी आरोपी की जमानत गत 21 अक्टूबर को निचली अदालत ने भी खारिज कर दी थी। अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता ने जिला अदालत में जमानत याचिका पेश कर कहा कि झूठा फंसाया है, यह सहमति का मामला है।

महिला की ओर से अधिवक्ता भारतभूषण शर्मा तथा लोक अभियोजक ने विरोध करते हुए कहा कि अभी तक के अनुसंधान में आरोपी के खिलाफ गम्भीर अपराध साबित है। कोर्ट ने दोनों पक्षों सुनकर बड़ौदरा गुजरात निवासी याग्नेश विजय कुमार की जमानत खारिज कर दी।

ये है मामला
मामले के अनुसार 35 वर्षीय महिला ने बोरानाडा पुलिस थाने में रिपोर्ट देकर बताया कि मुम्बई में उसके और अन्य व्यक्ति के बीच में मुकदमा चल रहा है। इस दौरान इंस्टाग्राम पर युवक संपर्क में आया, उसने अपने आप को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए मामले में मदद करने का झांसा दिया। तथाकथित अधिकारी और महिला के बीच सोशल मीडिया पर चैटिंग होती रही। इस बीच आरोपी ने महिला से जेवरात और रुपए भी ले लिए। रकम लौटाने के नाम पर आरोपी गत 7 जून को पाल बाइपास स्थित घर पर जाकर जबरदस्ती नशीली चॉकलेट खिलाकर बलात्कार किया और वीडियो बना लिया। पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर 23 वर्षीय युवक को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां जमानत अर्जी ख़ारिज हो गई।

Source: Jodhpur

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