संदीप पुरोहित। राज्य की 36 कौमों को साधने का सियासी तजुर्बा और जोधपुर के विकास की इबारत सरदारपुरा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सुरक्षा कवच है। यहां हार-जीत से ज्यादा इस बात पर चर्चा हो रही है कि गहलोत पिछली बार से ज्यादा वोटों से जीतेंगे या कम से। उधर भाजपा ने राजपूत वोट बैंक साधते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के भरोसे प्रो. महेन्द्र सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा है। भाजपा सनातन कार्ड और जालोरी गेट उपद्रव के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में है।
गहलोत के किले में सेंध की कोशिश
सीएम यहां अपने प्रचार का शंखनाद नामांकन से पहले ही कर चुके हैं। वहीं भाजपा इस अभेद्य किले में सेंध लगाने के लिए हर तरह के नुस्खे आजमा रही है। पिछले 25 साल में भाजपा कई जातिगत समीकरण अपना चुकी है, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी है। गहलोत की सोशल इंजीनियरिंग का भाजपा इस क्षेत्र में कोई तोड़ नहीं ढूंढ पाई है। इस बार फिर राजपूत वोट बैंक साधते हुए, मोदी के चेहरे के भरोसे प्रो. महेन्द्र सिंह राठौड़ मैदान में उतारा है।
पत्रिका की टीम चुनावी हवा को भांपने हुए मंडोर क्षेत्र पहुंची, जो गहलोत का गढ़ है। यहां कोई गहलोत को कोसने वाला नहीं मिलता। लेकिन, लोग अस्त-व्यस्त यातायात की समस्या के बारे में जरूर बात करते हैं। लोगों को एलिवेटेड रोड नहीं बनने का मलाल है। राजेन्द्र सांखला कहते हैं कि नया बस स्टैंड बन गया, पावटा में अस्पताल जिला स्तर का हो गया। जब उदयमंदिर क्षेत्र में आते हैं तो संकरी गलियों में लोग गहलोत सरकार की योजनाओं को गिनाते हैं। रमेश कुमार बताते हैं कि अस्पताल में चिरंजीवी योजना का काफी फायदा मिला है। वे कहते हैं कि उनकी मां का इलाज भी मुफ्त में हुआ है। आगे बीजेएस क्षेत्र में बढ़ते हैं तो यहां भाजपा के पक्ष में बात करने वाले लोग मिल जाएंगे। यहां आधारभूत सुविधाओं पर लोग बात करते हैं। गुमान सिंह बताते हैं कि बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट खोलने के लिए हमारी असुविधाएं तो दूर नहीं होतीं। लेकिन, मुख्यमंत्री के क्षेत्र का होना भी उन्हें भी अच्छा लगता है।
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Source: Jodhpur