- विश्व मृदा दिवस : मिट्टी का करना होगा संरक्षण, लानी होगी जागरूकता
मिट्टी की सेहत खराब होती जा रही है। पोषक तत्वों की कमी के कारण पैदा होने वाले अनाज आदि की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। इसका सीधा असर मानव के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। उर्वरा शक्ति कमजोर होने से भी मिट्टी से पैदा हो रही उपज में पोषक तत्वों की कमी हो रही है। कीटनाशक का अधिक प्रयोग और बढ़ते केमिकल उपयोग से मिट्टी का उपजाऊपन कम हो रहा है। केमिकल तत्व मिट्टी में घुलते जा रहे है। जो इसके लिए किसी जहर से कम नहीं है।
रासायनिक खाद का उपयोग खेती में काफी बढ़ा है। इसके कारण खेतों में उपज का क्षेत्र सिकुड़ रहा है तो उत्पादन में भी कमी आई है। विशेषज्ञों की मानें तो थार में जीरे की उपज में लगातार कमी आ रही है। वहीं इसकी गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। मिट्टी को स्वस्थ खने के लिए देसी खाद का उपयोग करना होगा। यह आज की जरूरत बनती जा रही है। पर्यावरण को किसी भी तरह से रासायनिक पदार्थों से होने वाला नुकसान आखिर में मानव जाति को प्रभावित करता है।
मिट्टी के क्षरण का यह है बड़ा कारण
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई मिट्टी के क्षरण का प्रमुख कारण है। पेड़ मिट्टी को बांधकर रखते है, जिससे इसके पोषक तत्व बने रहते है। लेकिन पेड़ काटने पर बरसात के दौरान मिट्टी बह जाती है। जिससे इसकी पोषकता खत्म हो जाती है। मिट्टी का क्षरण होने से इससे पैदा होने वाली उपज की क्वालिटी खराब हो जाती है। जो मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
साल 2023 की थीम : मिट्टी और पानी; जीवन का स्रोत
फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (एफएओ) की ओर इस साल की थीम ‘मिट्टी और पानी : जीवन का स्रोत’ रखा गया है। संगठन पूरे साल थीम के अनुसार कार्यक्रमों का आयोजन करता है और मिट्टी की सेहत कैसे बनी रहे, इसके लिए जागरूक करता है। एफएओ की ओर से हर साल मृदा दिवस इसलिए मनाया जाता है कि मिट्टी के कटाव को रोका जा सके। मृदा स्वास्थ्य के बारे में जागरूक और मिट्टी के स्थायी प्रबंधन को लेकर व्यवस्था सुनिश्चित करना है। अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस पहली बार 5 दिसम्बर 2014 को मनाया गया था। थाइलैंड के नेतृत्व में इस दिवस की औपचारिक स्थापना हुई थी।
जागरूकता और संरक्षण इसलिए जरूरी
मिट्टी के बहने से भारत सहित कई देशों के किनारे सिकुड़ते दिख रहे है। बढ़ती जनसंख्या के लिए जगह की जरूरत होती है और विशेषज्ञों के लिए जमीन का सिकुडऩा चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसके कारण मिट्टी संरक्षण की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है।
एक्सपर्ट व्यू …
सवाल यह है कि मिट्टी को बचाना क्यों जरूरी है ? दरअसल प्रदूषण और कीटनाशकों के अधिक प्रयोग के कारण मिट्टी की गुणवत्ता हर साल कम होती जा रही है, यह एक गंभीर समस्या है। सॉइल डिग्रडेशन से आर्गेनिक पदार्थों की क्षति होती है और मिट्टी की उर्वरकता में कमी आती है। ऐसे में लोगों को इस बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है। जिस तरह पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं है ठीक उसी तरह मिट्टी का भी बहुत महत्व है। भारत की आधी से ज़्यादा आबादी कृषि पर निर्भर करती है, लेकिन खेतों में बहुत ज़्यादा केमिकल वाले खाद और कीटनाशक के इस्तेमाल की वजह से मिट्टी की क्वालिटी में कमी आ रही हैं, जो की खाद्य सुरक्षा, पेड़-पौधों के विकास, कीड़ो और जीवों के जीवन और आवास व मानव जाति के लिए भी बड़ा खतरा साबित हो सकता है। ऐसे में मिट्टी का संरक्षण बहुत ज़रूरी हो गया है।
-डॉ. प्रदीप पगारिया, सह निदेशक कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर
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-पृथ्वी पर जितने लोग है, उससे कहीं अधिक जीवित प्राणी मिट्टी में है
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-मिट्टी में रहने वाले जीव कार्बन स्टोर करने में मददगार
-मिट्टी के जीव पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए काम करते है
Source: Barmer News