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विधायकों से पहला सवाल था कि वो क्या करेंगे, सबका जवाब था पानी की समस्या का हल करेंगे। यानि पहला मुद्दा प्यास और गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में लोग पानी मांग रहे है। 75 साल बाद प्यास जिंदा है और आस पूरी नहीं हुई। 15 सरकारें बदल गई औैर विधायक भी हर क्षेत्र में चुने गए। ऐसा भी नहीं हैै कि योजनाएं नहीं बनी और काम नहीं हुआ लेकिन प्रश्न यह है कि एक ओर सरकार घर-घर नल का सपना बुन रही है और यहां बॉर्डर पर महीनों पानी नहीं आने की जंग में मीलों प्रतिदिन सुबह पैदल चलने वाले लोगों का बुढ़ापा आ गया यह तकते और थकते और वोट करते कि पानी आएगा। नए-नए विधायकों ने जोश-खरोश से नया सपना दिया बस, अबकी बार…., पानी के इस सवाल पर पत्रिका की विशेष रिपोर्ट-

बाड़मेर जिले में कागजों में अभी 2011 की जनगणना के हिसाब से 2450 गांवों में से 2395 गांवों को पानी से जोड़ा गया हैै। जिले में 69 गांव औराा 11434 में से 4987 ढाणियां किसी भी सरकारी योजना से नहीं जुड़ी हुई है। 2011 के बाद अब 2023 आ गया और राजस्व गांवों की संख्या अब हो गई। महकमे के पास यह डाटा नहीं हैै कि 2021 की जनगणना में कितने गांव ढाणियां वंचित है। बड़ी योजनाएं बजट को तरस रही है। 2008 और 2013 की योजनाएं करीब 15 और 10 साल बाद भी पूरी नहीं हुई है। गिनाने को पांच साल में हर सरकार बड़ी-बड़ी गिनतियां हैण्डपंप, नलकूप, कुएं, बावडिय़ा योजना को लेकर करती है लेकिन हकीकत यह है कि जब तक तमाम बड़ी प रियोजनाएं अंतिम छोर तक पूरे पे्रसर से पानी लेकर नहीं पहुंचेगी सिर से पानी की समस्या का घड़ा नहीं उतरने वाला हैै।

बाड़मेर विधानसभा
बाड़मेर लिफ्ट का पार्ट सी का काम बकाया है। यहां पर अभी मोहनगढ़ से पानी लिफ्ट होता है जहां बिजली पूरी नहीं मिलने से पानी की टेस्ंिटग का काम नहीं हो रहा है। लाइनें बिछी हुई भी काम नहीं आ रही है। 507 ग्राम पंचायतें क्षेत्रिय परियोजनाओं के भरोसे है। इसमें 8 गांव तो सीधे अलाभान्वित है।
फिर अभी इंतजाम
बायतु- 70 गांव नहीं जुड़े, पाइप लाइन शेष
बायतु में बीती सरकार में 548 ़45 करोड़ की योजनाएं स्वीकृति हुई, 575 लघु जल योजनओं मे से 476 जल योजनाओं का कार्य पूरा भी हुआ। देश में सबसे बड़ी पाइप लाइन 11133 बिछाने का दावा है लेकिन इसमें से 8038 िबछी है, शेष बाकी है। अभी यहां 36800 घरों तक हर घर नल पहुंचा है। पचास प्रतिशत घरों में अभ भी यहां हर घर नल पहुंचना है। गिड़ा में भी 50 प्रतिशत बकाया है।
सिवाना- सिणधरी-सिवाना प्यासा
सिवाना और सिणधरी में तो हालत खराब है। यहां पोकरण फलसूण्ड पेयजल योजना से 2013 में पानी पहुंचाने का वादा किया गया था, लेकिन दस साल बाद यही हालात है। अभी भी इस इलाके के सारे गांवों और ढाणियों में पानी की भयंकर किल्लत है। महंगा पानी पीना मजबूरी बना हुुआ हैै।

गुड़ामालानी
नर्मदा का पानी यहां 2008 में पहुंच गया था। इसके बाद एक बड़ा इलाका पानी की समस्या से मुक्त हुआ है लेकिन राज्य सरकार ने यहां 4465 करोड़ की पेयजल योजना की वित्तीय स्वीकृति की है। यहां पर तकनीकी स्वीकृति होने के बाद टेण्डर नहीं होने से काम अटका हुआ है। 2008 के बाद लगातार वादे किए गए कि अब तो नहर आ गई है लेकिन 15 साल आगे बढऩे में गुुजार दिए है।
शिव
बाड़मेर लिफ्ट का काम बकाया है। 125 गांवों तक अब भी नर्मदा का पानी नहीं पहुंचा है। 21 करोड़ रुपए के कारण काम अटका हुआ रह गया हैै। बॉर्डर व डीएनपी क्षेत्र में पानी की समस्या से हालात बहुत खराब है। यहां बेरियों से मीलों चलकर पानी पहुंचाना पड़ रहा है। रामसर, गडरारोड़ इलाके में प ेयजल की किल्लत से लोग रूबरू ूहै।
पचपदरा
2013 में बनी पोकरण फलसूण्ड योजना का काम अधूरा चल रहा है। यहां पार्ट बी के काम को लेकर देरी हो रही है। बालोतरा के दर्जनों गांवों में पानी की किल्लत को लेकर धरने-प्रदर्शन होने के बावजूद भी यहां पर काम नहीं हो पाया है। बालोतरा अलग जिला बनने के बावजूद यहां पर अभी भी एसइ का कार्य बाड़मेर के भरोसे हैै।
चौहटन
चौहटन के गांवों को भी जायका के तहत नर्मदा से बनने वाली परियोजना से जोडऩा है। इस परियोजना के टेण्डर नहीं होने से गुड़ामालानी, चौहटन, शिव के 889 गांव पेयजल किल्लत से जूंझ रहे है। बड़ी परियोजनाओं के भरोसे चौहटन ने भी 15 साल का लंबा समय गुजार दिया है।

हर-घर नल अभी..27 प्रतिशत
बड़ा सपना अब हर घर नल का है। यहां पानी गांव तक नहीं पहुंचा है तो लोगों का सवाल है कि घर तक नल कब पहुंचेगा। केवल 27 प्रतिशत काम पूरा हुआ है। शेष 73 प्रतिशत बकाया हैै। 889 गांव गुड़ामालानी, धोरीमन्ना,चौहटन, रामसर के हैै, जहां इस योजना से तब जुड़ाव होगा जब 4465 करोड़ की जायका सहयोग की योजना पूरी होगी। सिणधरी-सिवाना के गांवों में पानी का इंतजार हो रहा है, यहां पर भी हर घर नल की योजना की प्रगति कैसे हों। बायतु औैर गिड़ा में 50 प्रतिशत घर जुड़ पाए है।
बाड़मेर-बालोतरा
कुल घर
4,67,838
अब तक कनेक्शन
1,27,752
काम पूरा प्रतिशत
27.31
बायतु और गिड़ा ब्लॉक
50 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरा

नए विधायकों ने यह किया हैै वादा
फिर..चुनावी वादे…याद रखिएगा…सवाल कीजिएगा
शिव-रविन्द्रसिंह भाटी
मेरा पहला लक्ष्य शिव में पानी की समस्या का समाधान है। रविन्द्र ने अपने प्रचार-प्रसार में यहां तक कहा हैै कि वे टैंकर लाकर पानी पहुंचाए लेकिन यह उनका वादा है कि शिव में पानी की समस्या का समाधान करवाएंगे।
बाड़मेर- डा.प्रियंका चौधरी
शहर औैर गांव तक पानी की समस्या का समाधान करवाना मेरा पहला प्रयास होगा। इसके लिए बड़ी योजनाओं को पूरा करवाने के लिए पूरे प्रयास करूंगी।
बायतु- हरीश चौधरी
देश की सबसे बड़ी पाइप लाइन बायतु में बिछी हैै। नंबर वन काम बायतु में राज्य में रहा हैै। अब प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी है,उनसे उम्मीद करूंगा कि इन कामों की गति को बरकरार रखकर हर घर नल का सपना साकार करेंगे।
चौहटन- आदूराम मेघवाल
नर्मदा का पानी चौहटन के गांंवों तक पहुंचे और योजना का बजट व तकनीकी स्वीकृति के बाद टेण्डर होने है। यह कार्य प्राथमिकता से करवाएंगे और केन्द्र सरकार की हर घर नल योजना का लाभ भी मिलेगा।
सिवाना- हमीरसिंह भायल
पिछले सालों में सरकार ने काम नहीं किया। पोकरण-फलसूण्ड परियोजना के तहत काम अधूरा पड़ा है। अब सरकार बदली है तो काम करवाएंगे। अधिकारी जो काम नहीं कर रहे है,उनको भी बदलकर काम को गति देंगे।
गुड़ामालानी- के के विश्नोई
नर्मदा का पानी गांव-गांव पहुंचे। पूरी आपूर्ति हों और पेयजल की समस्या का समाधान हों,यह ध्येय है। पिछली सरकार में जायका के तहत योजना के टेण्डर नहीं हुए हैै,सबसे पहले यही काम करेंगे ताकि बड़ी योजना पर काम हों।
पचपदरा- अरूण कुमार चौधरी
पोकरण-फलसूण्ड योजना का कार्य अधूरा पड़ा है। पांच साल का काम में बड़ा बे्रक आया है। इसको तोड़ा जाएगा और अब पानी की समस्या को प्राथमिकता से हल करवाएंगे। हर घर नल का काम सबसे पहले होगा।

Source: Barmer News

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