Posted on

Side effects of antibiotics : यदि आपका बच्चा पांच साल से छोटा है, बार-बार जुकाम-बुखार से ग्रस्त हो जाता है तो यह खबर आपकेे लिए महत्वपूर्ण है। इन बच्चों को घर में ही लगातार दवाई देना काफी नुकसान पहुंचा रहा है। कई बच्चों में तो एंटी बायोटिक दवा ने असर दिखाना भी बंद कर दिया है। यह बात खुद नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के सर्वे में सामने आई है। जोधपुर में इन दिनों वायरल चल रहा है जिसमें अधिकांश बच्चे सर्दी-जुकाम से पीड़ित हो रहे हैं। इनमें से 20 प्रतिशत बच्चों में यह बात सामने आई है कि रूटीन एंटीबायोटिक असर ही नहीं कर रही है। कुछ लोग डॉक्टर की सलाह के बिना ही एंटीबायोटिक दे देते हैं। एंटीबायोटिक के ओवर यूज से बच्चों को नुकसान पहुंच सकता है। गलत दवा लेने पर वायरल इंफेक्शन पैदा हो सकता है।

छोटे बच्चों में दो कारण से बीमारी का असर
1. वायरल बीमारी : ज्यादा बच्चों को साल में कई बार सर्दी-जुकाम-बुखार होता है तो उसका कारण वायरस ही होता है। यह बीमारी ऑटो इम्युन सिस्टम से ठीक हो जाती है। कई बार यदि नाक ज्यादा जाम है तो नेजल ड्रॉप का उपयोग किया जा सकता है।
यह हो रहा: ज्यादातर पैरेेंटस बच्चों को वायरल बीमारी में भी दवाइयां दे रहे हैं। यह दवाई भी एक बार डॉक्टर को दिखाने के बाद कई महीनों तक चलाते हैं। हल्के से जुकाम में भी दवा दे दी जाती है। जबकि वायरल बीमारी में इसकी जरूरत नहीं है।
2. बैक्टीरियल बीमारी: यह बैक्टीरिया जनित है। इसमें चिकित्सक को दिखाना जरूरी है। इसमें एंटीबायोटिक दवाई ज्यादातर डॉक्टर लिखते हैं।
यह हो रहा : डॉक्टर इस प्रकार की बीमारी में यदि अब दवाइयां लिख रहा है तो उसमें अधिकांश दवाइयां छोटे बच्चों पर असर नहीं कर रही। इसका कारण है कि रेसिस्टेंस डवलप हो गया है। ऐसे में अब डोज या तो बढ़ानी पड़ रही या लम्बे समय तक देनी पड़ती है।

यह है एंटीबायोटिक के साइड इफेक्ट
– अधिक डोज से गुड बैक्टीरिया मर जाता है और इसे माइक्रोबियल असंतुलन पैदा होता है। इस असंतुलन के कारण बच्चे को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती है। यानि पेट खराब हो सकता है।
– एंटीबायोटिक के अधिक सेवन के कारण बच्चे को पेट में तेज दर्द, बुखार, मल में खून आना, बहुत पतला मल आना और गंभीर दस्त की शिकायत हो सकती है।
– किडनी अपने कार्य करने की क्षमता को खो सकती है। इससे किडनी फेल हो जाती है।
– एंटीबायोटिक के अधिक सेवन से बच्चे में ओवरवेट होने का खतरा बढ़ जाता है। बेवजह एंटीबायोटिक लेने से बच्चों को गंभीर रूप से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

यह हो सकता है नुकसान
हमारे शरीर में करोड़ों अच्छे बैक्टीरिया रहते हैं जो लगातार इम्यून सिस्टम और पाचन तंत्र को ठीक तरह से कार्य करने में मदद करते हैं। बेवजह एंटीबायोटिक लेने, खासतौर पर इंफेक्शन ना होने पर, ये बैक्टीरिया नष्ट होने लगते हैं और बच्चे के शरीर की सामान्य क्रियाएं प्रभावित होने लगती हैं।

यह भी पढ़ें- जिस दवा को लेकर अलर्ट जारी, उसकी राजस्थान के इस शहर में हर दिन एक करोड़ की बिक्री

एंटीबायोटिक साइड इफेक्ट के बिना काम नहीं करेगी
हमें यह पहले समझना पड़ेगा कि वायरल बीमारी में एंटीबायोटिक की जरूरत भी नहीं होती। सेल्फ लिमिटिंग असर दिखाता है जो कुछ समय में ठीक भी हो जाता है। बाद में बैक्टीरियल इंफेक्शन में असर नहीं करेगी। कोई भी एंटीबायोटिक साइड इफेक्ट के बिना काम नहीं करेगी। बच्चों के विक्स नहीं लगानी चाहिए। यह ज्यादा खतरा पैदा करती है। अपने घर पड़ी दवाइयां देना भी खतरनाक है, क्योंकि हर कुछ महीने में बच्चे का वजन बढ़ता है और ऐसी स्थिति में एंटीबायोटिक की डोज भी बदलती है। पहले पांच साल तक बच्चे में ज्यादा ध्यान रखने की जररूत है।
– डॉ. अनुराग सिंह, सीनियर पीडियाट्रिशियन, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज

यह भी पढ़ें- पल्स पोलियो अभियान में नौनिहालों को पिलाई दवा

Source: Jodhpur

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *