बाड़मेर.
देश के सबसे अंतिम रेलवे स्टेशन मुनाबाव तक इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने दौड़ाने का कार्य पूर्ण हो गया है। मुनाबाव से बाड़मेर तक इलेक्ट्रिक पॉवर चलाकर ट्रायल भी हो चुका है। सबकुछ योजनानुरूप रहा तो वर्ष 2024 में आखिरी स्टेशन तक इलेक्ट्रिक ट्रेन दौड़ती नजर आएगी। सामने पाकिस्तान के खोखरापार में अभी छप्परनुमा रेलवे स्टेशन बना हुआ है, जहां अभी भी रात में लाइट बल्ब भी नजर नहीं आते है।
नए बन रहे रेलवे स्टेशन
आजादी से पूर्व अंग्रेजों के समय के बने रेलवे स्टेशन की जगह अब अत्याधुनिक सुविधाओं वाले प्लेटफॉर्म का निर्माण किया जा रहा है। भाचभर, रामसर, गडरारोड़, मुनाबाव में 5.39 करोड़ की लागत से बन रहे इन स्टेशनों पर सभी प्रकार की सुविधाएं विकसित की जा रही है। लम्बा एवं ऊंचा प्लेटफॉर्म, चौड़ी सड़क, दिव्यांग यात्रियों के लिए सुविधाओ में विस्तार, छाया के लिए टीनशेड, शुद्ध पानी के लिए दोनों तरफ प्याऊ के अलावा प्रकाश की बेहतर व्यवस्था, आरामदायक कुर्सियों और वेटिंग रूम का निर्माण भी किया जा रहा है।
5 जी नेटवर्क कनेक्टिविटी
रेलवे स्टेशन परिसर में 5जी नेटवर्क की कनेक्टिविटी की जाएगी। साथ ही रेलवे स्टेशन परिसर के चारों तरफ बाउंड्री करके प्रवेश द्वार को आकर्षक बनाया जाएगा। इसके अलावा यात्रियों की बेहतर सुविधा के लिए आधुनिकतम वाहन पार्किंग की सुविधा भी की जाएगी।
उधर छप्पर में अंतिम स्टेशन
एक तरफ हिंदुस्तान के अंतिम बॉर्डर के स्टेशन सजाया एवं संवारा जा रहा है। अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक पॉवर के दो फेरों वाली ट्रेन चलाने की तैयारी हो रही वहीं बॉर्डर के उस पार पाकिस्तान के जीरो लाईन रेलवे स्टेशन पर बिजली का एक बल्ब तक नहीं हैं। पशुओं के बाड़े जैसा लोहे का छप्परा ही बना हुआ है। पाकिस्तान के अंतिम रेलवे स्टेशन खोखरापार तक मारवी एक्सप्रेस चल रही है। हैदराबाद से खोखरापार चलाई जा रही हैं।
थार एक्सप्रेस की मांग
जोधपुर-मुनाबाव के बीच इलेक्ट्रिक पॉवर इंजन ट्रेन चलाने की तैयारी हो रही हैं। वहीं स्थानीय सीमावर्ती ग्रामीण थार एक्सप्रेस चलाने की उम्मीद कर रहे हैं। गौरतलब हो बॉर्डर के दोनों तरफ हजारों लोगों के रिश्ते जुड़े हैं। थार एक्सप्रेस के माध्यम से हजारों लोगों ने पहली बार अपना ननिहाल देखा तो कई भाई अपनी बहनों से वर्षों बाद मिल पाए। ऐसे में अगर फिर से रिश्तों का मिलन शुरू हो जाए तो सोने पे सुहागा हो जाए।
Source: Barmer News