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नन्दकिशोर सारस्वत

अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इसको लेकर जोधपुर शहर में भी उत्साह और उल्लास का माहौल है। अनेक लोग समारोह में शामिल होने के लिए अयोध्या रवाना होंगे। शहर में ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में बलिदान दिया। उनमें से एक हैं जिले के मथानिया के सेठाराम परिहार। तब उनका पुत्र सिर्फ ढाई साल और बेटी महज छह महीने की थी। महोत्सव के इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए चुनिंदा लोगों को ही निमंत्रण पत्र मिला है। सेठाराम के पुत्र मुकेश परिहार और उनके भाई वीरेन्द्र परिहार 20 जनवरी को सुबह 8.30 बजे जोधपुर से रवाना होंगे। पुत्र मुकेश ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा में हमें बुलाया, यह हमारे लिए गर्व की बात है।

सेठाराम की मां 87 वर्षीय सायर देवी ने कहा तीन दशक के इंतजार के बाद मेरे लाल का सपना पूरा होता देखने के लिए भगवान ने मुझे जिंदा रखा। उस वक्त बेटे के निधन की खबर मिलने के बाद वे बेसुध हो गईं थीं। उन्होंने बताया कि वे दिन-रात यही प्रार्थना करती थी कि जिस सपने और लक्ष्य के लिए उनके बेटे ने प्राण न्यौछावर किए, वह जल्द से जल्द साकार हो। और वह सपना अब 22 जनवरी को पूरा होने जा रहा है। इसकी खुशी सेठाराम के बड़े भाई डॉ. अमर परिहार, सेठाराम की विवाहित पुत्री अनीता और पुत्र मुकेश परिहार के चेहरे पर भी झलक रही है।

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कार्तिक पूर्णिमा पर गांव में मेला भरता है
उनके बेटे मुकेश बताते हैं कि जब मैं छह साल का हुआ, तब कार्तिक पूर्णिमा को गांव में पिता की स्मृति में होने वाले कार्यक्रम में मंच पर मुझे माला पहनाई गई। तब पता चला कि अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए
पिता ने अपना बलिदान दिया था। हर कार्तिक पूर्णिमा पर पिता की स्मृति में गांव में मेला भरता है। उनकी गांव के मध्य प्रतिमा लगाई गई और एक हॉस्टल का निर्माण कराया गया है। सेठाराम की स्मृति में हुए कार्यक्रम में पूर्व सरसंघ चालक रज्जू भैया व वर्तमान सरसंघ चालक मोहन भागवत तक शिरकत कर चुके हैं।

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Source: Jodhpur

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