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Ram Mandir : पापा प्रो. महेन्द्रनाथ अरोड़ा 30 अक्टूबर 1990 को जोधपुर से अयोध्या में कार सेवा के लिए रवाना हुए तब मैं 21 साल की थी। 2 नवम्बर को सुबह 10 बजे उन्हें गोली लगी। चूंकि पापा एनसीसी में कैप्टन थे, तो उनकी जेब में रखे परिचय पत्र के कारण पता चला कि वे जोधपुर के हैं। हमें दोपहर 1.30 बजे उनके निधन की सूचना मिली। घर में सभी स्तब्ध रह गए। हमने ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि अचानक यूं हमारे सिर से पापा का साया उठ जाएगा। उनके जाने के बाद परिवार पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा। मां सुमति देवी अरोड़ा रसायन विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं। मां राम मंदिर का निर्माण होने का इंतजार करते-करते अक्टूबर 2013 में विदा हो गईं। हालांकि मम्मी हमेशा कहती थी कि तुम्हारे पापा का बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाएगा। एक न एक दिन राम मंदिर जरूर बनेगा, देख लेना। और वह दिन आ ही गया। मां वर्ष 1992 में अयोध्या गईं और उस घटनास्थल को भी देखा, जहां पापा को गोली लगी थी।

दो भाइयों का निधन
पापा के जाने के बाद मेरे दोनों बड़े भाईयों की मौत ने झकझोर कर रख दिया। 1995 में मेरे सबसे बड़े भाई शैलेंद्र अरोड़ा और 2002 में भाई नेवी ऑफिसर जितेंद्र अरोड़ा का भी कार दुर्घटना में निधन हो गया।

मेरे लिए अत्यंत भावुक पल
आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होना मेरे लिए हर्ष मिश्रित दुख की घड़ी है। हर्ष इस बात का कि पापा सहित उन सभी असंख्य कारसेवकों का बलिदान सार्थक हुआ और हमें उस पल का साक्षी बनने का अवसर मिल रहा है। मुझे और मेरे भाई को अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होने का विशेष निमंत्रण पत्र मिला है। दुख इस बात का कि इस सुअवसर पर हम सभी
पापा की कमी महसूस करेंगे। करोड़ों रामभक्तों सहित हमारे परिवार के लिए 22 जनवरी का दिन नि:संदेह भगवान राम के वनवास पूरा कर अयोध्या लौटने जैसे होगा। पूरा देश दीपोत्सव से जगमगाएगा।

अरोड़ा सर्किल पर लगी प्रो अरोड़ा की प्रतिमा
जोधपुर की गोल्फ कोर्स योजना में शहीद डॉ. महेन्द्रनाथ अरोड़ा के नाम से मार्ग का नामकरण किया गया। इसके अलावा रेजीडेन्सी रोड पर प्रो. महेन्द्रनाथ अरोड़ा सर्किल पर उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है। हमें हमारे पापा के बलिदान पर गर्व है।

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कारसेवक अरोड़ा एक परिचय
– सन 1962 में जोधपुर विश्वविद्यालय की स्थापना होने पर प्रो. महेन्द्रनाथ अरोड़ा ने अंग्रेजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यग्रहण किया था।
– इमरजेन्सी के दौरान मीसा एक्ट के तहत प्रो. अरोड़ा को जोधपुर सेन्ट्रल जेल में कैद किया गया था।
– परिवार में तीन पुत्र व दो पुत्रियों का जन्म हुआ। वर्तमान में उनके परिवार में दो पुत्रियां व एक पुत्र हैं।
– राजकीय विद्यालय जोधपुर में लेक्चरर के पद पर कार्यरत सबसे बड़ी पुत्री वीरा अरोड़ा और पुत्र नरेंद्र नाथ अरोड़ा जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में लैब इंचार्ज के पद पर कार्यरत हैं।
– सबसे छोटी पुत्री विजेत्री अरोड़ा गृहिणी हैं जो गाजियाबाद में अपने परिवार के साथ रहती हैं ।
(जैसा कि प्रो. महेन्द्रनाथ अरोड़ा की पुत्री वीरा अरोड़ा व पुत्र नरेन्द्रनाथ ने पत्रिका के नंद किशोर सारस्वत को बताया)

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Source: Jodhpur

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