राम मंदिर निर्माण आंदोलन चरम पर था, विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर जिले की विभिन्न तहसीलों से कार सेवकों के जत्थे अयोध्या के लिए कूच कर रहे थे। इसी क्रम में बिलाड़ा से 132 कारसेवकों का जत्था अयोध्या के लिए रवाना हुआ, लेकिन उन्हें टुंडला रेल्वे स्टेशन पर गिरफ्तार कर आगरा जेल भेज दिया गया। जब अयोध्या में 2 नवम्बर को पहली कारसेवा के दौरान जोधपुर के महेन्द्रनाथ अरोड़ा एवं अन्य कारसेवकों को पुलिस की गोलियां लगीं तो जेल में बंद 10 हजार कारसेवकों ने उस दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए बलिदानियों को पुष्पांजलि अर्पित की।
उसी दिन बिलाड़ा के कारसेवकों ने जेल परिसर की पुरानी दीवार को ढहा कर एक पेड़ के नीचे राममंदिर बना डाला। आगरा शहर के लोगों को इसकी जानकारी हुई तो नगरवासी राम दरबार की प्रतिमाएं ले आए और प्रतिष्ठा कर डाली। इसमें जेल प्रशासन का भी सहयोग रहा। 5 नवंबर को जब पक्ष और विपक्ष के बीच समझौता हुआ तो तय हुआ कि उत्तर प्रदेश की जेल में बन्द सभी कारसेवकों को रिहा किया जाए। विहिप और संघ द्वारा सभी कार्य सेवकों को संदेश पहुंचा दिया गया कि मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की सरकार पर दबाव बनाए रखने के लिए कार सेवकों का उत्तर प्रदेश में बना रहना आवश्यक है।
पैदल पहुंचा जत्था
48 कारसेवकों का जत्था आगरा जेल के पास स्कूल से निकलने के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचा। देर रात तक इंतजार करने के बाद भी कारसेवकों को कोई ट्रक या साधन नहीं मिला। तब सभी कारसेवकों ने तय किया कि वे पैदल ही रवाना होंगे। कारसेवकों के जत्थे ने रातभर में चालीस किलोमीटर पैदल यात्रा की। सूर्योदय के साथ कारसेवकों का जत्था सरयू नदी के किनारे पहुंचा और अयोध्या में प्रवेश किया। वहां पहुंचने के बाद सरकार ने भी बारी-बारी सभी कार सेवकों को राम जन्म स्थान तक पहुंचा कर दर्शन करवाया।
48 कारसेवक एक स्कूल में चले गए
आगरा के केंद्रीय कारागार से रिहा होने के बाद बिलाड़ा के इन कार सेवकों ने तय किया कि अब वे किसी भी हाल में एक बार अयोध्या रामजन्म भूमि के दर्शन को जरूर पहुंचेंगे। 48 कारसेवक आगरा जेल के निकट एक स्कूल में चले गए। स्कूल परिसर में कार सेवकों के होने की जानकारी पाकर आसपास रहने वाले परिवार के लोग वहां पहुंचे। सभी ने इन कारसेवकों को आदर पूर्वक भोजन कराया। जब मालूम हुआ कि सभी लोग अयोध्या जाने को आतुर हैं तो राष्ट्रीय सेविका समिति की बहनों ने सभी कारसेवकों को अपने खून से तिलक लगाया।
(जैसा कि कारसेवक रूपसिंह, जुगल किशोर माहेश्वरी और मंगलाराम सैन ने हमारे संवाददाता कल्याण सिंह को बताया।)
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Source: Jodhpur