National Youth Day: बाड़मेर के जिस इलाके में बेटियों को पढ़ाने का संकोच दो दशक पहले था वहां अब 250 बेटियां बंदूक चला रही है। वे प्रशिक्षित है पहाड़ पर चढ़ने, रस्सियों के सहारे बिल्डिंग पर चढ़ने, आत्मविश्वास से लबरेज होकर खुद की आत्मरक्षा करने और वक्त पड़े तो दूसरों की रक्षा को भी। एनसीसी से जुड़कर यह कमाल करने वाली यही बेटियां आने वाले समय में सेना, पुलिस और बीएसएफ में नजर आएगी।
बदलाव की यह बयार सकून दे रही है। ग्राउण्ड पर जब ये बेटयां बंदूके ताने हुए निशाना साधती है तो लगता है कि महिला सशक्तिकरण की अलग पहल है। टू बाइ टू पोइंट राइफल और एसएलआर चला रही इन बेटयों के हौंसले बुलंद है।
एनसीसी ज्वाइन 9 वीं से
– नवीं और दसवीं कक्षा में एनसीसी स्कूल से शुरू होती है
– कॉलेज में द्वितीय वर्ष में बी सर्टिफिकेट और तृतीय वर्ष में सी सर्टिफिकेट
क्या फायदा
बैल्टबंद सर्विस में जा सकते है। जिसमें आर्मी,नेवी, एयरफोर्स, बीएसएफ, पुुलिस इत्यादि है।
– पुलिस सी सर्टिफिकेट में दस प्रतिशत बोनस अंक देती है
– आर्मी ऑफिसर भर्ती में सीधा साक्षात्कार
– पैरामिलीट्री फोर्स में भी एनसीसी सर्टिफिकेट को वरीयता
2013-14 में 05 ही थी
2013-14 में पांच युवतियां ही आई थी लेकिन इसके बाद माहौल बदल रहा है। अब बाड़मेर कॉलेज में ही 45 युवतियां एनसीसी में है।
जिले में 250- एक्सपर्ट व्यू
बाड़मेर जिले के सभी कॉलेज और स्कूल में मिलाकर अब करीब 250 एनसीसी है। यह संख्या बहुत अच्छी है। परिवार के लोगों की सोच में बदलाव आया है। वे बेटियों को संघर्षपूर्ण ट्रेनिंग के लिए तैयार कर रहे है। एनसीसी उनके आत्मविश्वास, एडवेंचर लाइफ, युनिफार्म सर्विस, हथियार ट्रेनिंग, सेल्फ डिफेंस सहित कई गुणों को विकसित कर रहा है। सी सर्टिफिकेट एनसीसी गल्र्स किसी फौजी से कम नहीं है। – केप्टन आदर्श किशोर जाणी,एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर
हिम्मत आई है
मैं प्रतिदिन मेरे गांव नोख से बस में परेड के लिए आती हूं। एनसीसी में आने के बाद मुझे बहुत हिम्मत आई है, मैं जब भी यूनिफार्म पहन के बस में आती हूं तो मेरे को दूसरी छात्राएं कहती हैं कि वे भी बड़ी होकर इसमें आएगी।
– कमला, नोख
सैनिक की तरह
मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं कभी यूनिफॉमज़् पहनूंगी और अब तो सैनिक की तरह अनुशासित दिनचयाज़् अपनाती हूं। मुझे बहुत गवज़् होता है जब मैं यूनिफामज़् में स्वयं को देखती हूं।
-कैडेट दिव्या प्रजापत, बाटाडू
बहुत सीखा
मैंने एनसीसी में आकर आत्मविश्वास के साथ बोलना, नाटक करना, डांस करना और कविताएं लिखना सीख लिया। अगर मैं इसमें नहीं आती तो इन सब चीजों से मैं वंचित रह जाती।-शारदा मेघवाल, रावतसर
Source: Barmer News