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मौसम विभाग अब पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय से बारिश व फिर तापमान में बढ़ोतरी होने की भविष्यवाणी कर रहा है, लेकिन सात समंदर पार कर फलोदी जिले के खीचन आने वाली इस डेमोसाइल बर्ड को इसका आभास एक महिने पहले ही हो चुका था और यही कारण है कि फरवरी में लगने वाला सायबेरियन बर्ड कुरजां का खीचन में लगने वाला मेला इस बार एक महिने पहले जनवरी में ही लग गया है। जानकारों की माने तो भारत प्रवास पर आने वाली सायबेरियन बर्ड जब वतन वापसी करती है, उससे एक महिने पहले खीचन व फलोदी के आकाश में मंडराने लगती है और कुर्रकुराहट कर अपने साथियों तक वापसी का संदेश पहुंचाने लगती है। जिसके बाद खीचन में बड़ी संख्यां में कुरजां का आगमन होता और यहां सायबेरियन बर्ड की तादाद इतनी अधिक होती है कि मानों यहां सायबेरियन बर्ड कुरजां का मेला लगा हुआ है।

कुर्रकुर्राहट से साथियों को संदेश
जानकारों की माने तो सायबेरियन बर्ड जब वतन वापसी करने को तैयार होती है तो एक पखवाड़ा पहले आकाश में कुरजां की उड़ाने बढ़ जाती है और इनके दल दिन के साथ रात में भी कुर्रकुर्राहट करते हुए उड़ते नजर आता है। जिससे ग्रामीणों को इन पक्षियों की वापसी का अहसास हो जाता है।

भोजन कर रही संग्रहित
सायबेरियन बर्ड कुरजां जब वापसी करती है, उससे पहले वह उड़ान के समय भोजन एकत्रित करती है और यह भोजन उसे खीचन में ही मिलता है। जिस कारण यहां कुरजां का मेला लगता है, लेकिन इस बार समय से पहले कुरजां का जमावड़ा होने लगा है। जिससे मौसम में बदलाव होने व जल्द ही डेमोसाइल के्रेन की वापसी शुरू होने का संकेत है।
– डॉ. दाउलाल बोहरा, सदस्य आईजीएन व कुरजां विशेषज्ञ

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तापमान में बढ़ोतरी का अहसास
जब तापमान में बढ़ोतरी का अहसास होता है तो कुरजां के वापसी का समय शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार तो कोहरा व कम्पाम्पाती सर्दी के बीच यह उतावलापन नजर आ रहा है। हर साल चार फरवरी के बाद कुरजां का कुनबा 35 हजार या इससे अधिक होता है, लेकिन इस साल तीन जनवरी को ही डेमोसाइल क्रेन की संख्या 40 हजार को पार कर गई है। उड़ान में नजर आ रहा उतावलापन मौसम में बदलाव का संकेत हो सकता है।
– सेवाराम माली, पक्षी प्रेमी

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Source: Jodhpur

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