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गजेंद्र सिंह दहिया
कश्मीर की बर्फ की वादियां आज पर्यटकों का बांहें खोलकर स्वागत कर रही है। आतंककारियों से कश्मीर घाटी को मुक्त कराना सेना के लिए एक कठिन डगर रही है। सेना की विभिन्न कम्पनियों में तैनात अफसरों ने अलग-अलग मगर अनूठे व नए रास्ते अपनाए। इसे चाहे साम-दाम-दंड भेद की नीति कहें चाहे कोई और नाम दें। आखिर सेना कश्मीर में कामयाब रही।

सेना ने ऐसे की मदद
कश्मीर में शांति के लिए आतंकवादी का प्रेम विवाह करवाना, आतंकवादी की पत्नी का साथ देते हुए उसकी पुत्री को उच्च शिक्षा दिलाना, पत्थरबाजी करवाने वाले सरपंच के परिवार की दुर्घटना के बाद जी जान लगाकर उसको बचाना जैसे तमाम कार्य सेना ने किए। भारतीय सेना की ऐसी ही 17 कहानियों को अपनी किताब मुखबिर में सेना के अफसर कर्नल सुशील तंवर ने पिरोया है। मुखबिर पिछले सप्ताह ही प्रकाशित हुई है। कर्नल तंवर ने अपने 15 साल की ड्यूटी के दौरान वहां से मिले अनुभव के आधार पर इस पुस्तक में 17 सर्वश्रेष्ठ कहानियां लिखी है जो कश्मीरी आम जनता, सेना और आतंकवादियों के मध्य इमोशनल बैटल को बताती है। कर्नल तंवर वर्तमान में राजस्थान में ही तैनात है। सभी 17 कहानियों का अलग-अलग शीर्षक है।

खूबसूरती व खतरे के बीच महीन रेखा
किताब में सभी 17 कहानियां कश्मीर की हकीकत उजागर करती है जिसमें सावधानी, खूबसूरती और खतरे के बीच एक महीन रेखा बताई गई है। कहानियों के अनुसार अगर अत्यधिक सावधानी बरती जाती है तो घाटी में आतंकवाद से निपटने में परेशानी आती है और उसकी खूबसूरती खून से सन्न जाती है। अगर बार-बार खतरा उठाया जाता है तो जान भी जाने का डर है। इसी माहौल में सेना के अफसरों ने बेहतरीन काम में अंजाम दिया।

मुखबिर की कहानियां जो बरसों तक सुनी और सुनाई जाएगी
– पाकिस्तानी युवक अबु फुरकान (पीओके) में लश्कर कैंप में जेहादी ट्रेनिंग लेकर कश्मीर पहुंचा। बारामूला के पास हंदवारा में उसे एक लड़की रुखसार से प्यार हो जाता है। सेना के अफसरों को पता चलने पर वे रुखसार से मिल अबु का हृदय परिवर्तन कर देते हैं। अबु कुछ दिन सेना के लिए जासूसी करता है। उसके बाद सेना दोनों को निकाह करके उन्हें खुशी-खुशी पाकिस्तान भेज देती है।
– सोपोर की एक मां शाजिया का पति लश्कर में आतंककारी था। एनकाउंटर में मरने के बाद दूसरे आतंकवादी उसकी बेटी को परेशान करते हैं। शाजिया सेना की मदद से अपनी बेटी का कॉलेज में दाखिला करवाकर तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतार देती है।

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– हंदवारा का सरपंच आम लोगों को सेना के विरुद्ध भड़काकर पत्थरबाजी करवाता था। एक दिन श्रीनगर जाने के दौरान उसके परिवार का एक्सीडेंट हो गया। सेना ने मिलिट्री हॉस्पीटल में ब्लड देकर और ऑपरेशन करवाकर परिवार वालों को बचाया तब सरपंच का दिल बदल गया और पत्थरबाजी हमेशा के लिए बंद हो गई।

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Source: Jodhpur

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