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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय ऋषि-मुनियों की तर्ज अपने यहां गुफाएं बनाने जा रहा है। इन गुफाओं में ध्यान व मंत्रों की शक्ति का अध्ययन किया जाएगा। मंत्र से निकलने वाली ध्वनि तरंगों को उपकरणों की मदद से मापा जाएगा। ध्वनि तरंगों की आवृत्ति, आयाम सहित अन्य बिन्दुओं के आधार पर संबंधित मंत्र की शक्ति पता चलेगा। यह शोध विवि के अस्पताल में आने वाले मरीजों पर होगा। विभिन्न बीमारियों से ग्रसित मरीजों पर विभिन्न मंत्रों के शोध से उपचार की नई विधि व तरीका सामने आएगा।

आयुर्वेद विवि 10 गुफाएं बनाने जा रहा है। इसमें से 5 गुफाएं जमीन के अंदर होंगी, जिसका गुम्बद बाहर दिखाई देगा। पांच गुफाएं जमीन के ऊपर होंगी। दोनों का पैरामीटर तय किया जा रहा है। एक गुफा में केवल एक व्यक्ति ही ध्यान कर सकेगा। गुफा की दीवारें ध्वनि रोधक बनाने के लिए गोबर के लेप का इस्तेमाल किया जाएगा। गुम्बद का आकार भी विशेष होगा, क्योंकि गुम्बद से ही टकराकर ध्वनि तरंगें वापस स्रोत तक लौटती है।

उच्चारण एक, श्रवण अनेक

विवि गुफा के अंदर उस विज्ञान पर भी अध्ययन करेगा, जिसमें कोई एक ध्वनि कितनी बार टकराकर मस्तिष्क तक पहुंचती है। यानी गुफा में बैठा कोई व्यक्ति यदि एक बार किसी मंत्र का जाप करता है, तो उसे वह कितनी बार सुनाई देगा। इसको बढ़ाया भी जा सकेगा। लौटकर आने वाली तरंगें बढ़ाने का फायदा यह होगा कि एक उच्चारण से अनेक श्रवण करके मंत्र का प्रभाव बढ़ाया जा सकेगा।

जमीन के अंदर वातावरण से रहते हैं दूर

विवि के योग चिकित्सा एवं मंत्र साधना केंद्र के डॉ. चंद्रभान शर्मा ने बताया कि जमीन के अंदर रहने पर व्यक्ति का वातावरण से संबंध विच्छेद हो जाता है, जबकि जमीन के ऊपर वह वातावरण के सम्पर्क में रहता है। दोनों का प्रभाव अलग-अलग होता है। जमीन के अंदर व नीचे दोनों स्थानों पर समानांतर शोध से दोनों के प्रभाव के अंतर का पता चलेगा।

हमने देश में कुछ स्थानों पर ऐसी गुफाएं देखी हैं, जहां अभी भी साधु ध्यान करते हैं। लेकिन गुफा के अंदर व बाहर ध्यान और मंत्र शक्ति पर अब तक शोध नहीं हुआ है। इसलिए हमनें यहां 10 गुफाएं बनाकर शोध करने का निर्णय लिया है।

-डॉ. पीके प्रजापति, कुलपति, डॉ. एसआरआर आयुर्वेद विवि जोधपुर

Source: Jodhpur

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