प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कुशल प्रबंधन और विभागीय आदेशों की पालना के लिए अधिकारी समय-समय पर निरीक्षण करते हैं। भौतिक सत्यापन भी करते हैं। अब ऐसा ही निजी स्कूलों में भी किया जाएगा। शिक्षा विभाग के अधिकारी समय-समय पर निजी स्कूलों का नियमित निरीक्षण/पर्यवेक्षण कर यह तय करेंगे कि विद्यालयों में उनसे संबंधित कानूनों व नियमों की पालना की जा रही है या नहीं। निजी विद्यालयों की समस्याओं के समाधान के लिए निरीक्षण समिति का भी गठन किया जाएगा, जो विद्यालयों का भौतिक निरीक्षण कर उनकी समस्याएं हल करवाएगी। यदि किसी विद्यालय की ओर से निरीक्षण में सहयोग नहीं किया जाता है या दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए जाते हैं तो उसकी मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई भी प्रस्तावित की जा सकती है।
जांच के प्रमुख बिंदू
– विद्यालय को संचालित करने वाले ट्रस्ट/सोसायटी की स्थिति, सोसायटी के पंजीकरण, विधान व कार्यकारिणी से सम्बधित दस्तावेज।
– मान्यता आदेशों के अनुसार विद्यालय की भौतिक स्थिति के तहत भूस्वामित्व/पंजीकृत किरायानामा के दस्तावेज।
– विद्यालय भवन का सक्षम अधिकारी की ओर से जारी ब्लू प्रिंट, अग्नि सुरक्षा प्रमाण पत्र, भवन सुरक्षा प्रमाण पत्र।
– पूर्व में प्राप्त सभी मान्यता आदेश, संस्था की स्थावर सम्पत्तियों का विवरण।
– विद्यालय की स्वच्छता सम्बिन्धत रिपोर्ट/स्थिति, गत तीन सालों की सीए रिपोर्ट।
– विद्यालय व सम्बिन्धत जिला शिक्षा अधिकारी के नाम संयुक्त एफडीआर की प्रति।
वेतनमान की भी करेंगे जांच
शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों की जांच के लिए विशेष टीम के गठन किया गया है। विभाग निजी स्कूलों की जांच में यह देखेगा कि यहां आरटीई व फीस एक्ट का पालन हो रहा है या नहीं। भौतिक सुविधाओं की क्या स्थिति। है। शिक्षकों का वेतनमान कितना है।
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बेहतर मॉनिटरिंग
निदेशालय से निजी स्कूलों की जांच करने के निर्देश मिले हैं। इससे उनकी प्रभावी मॉनिटङ्क्षरग होगी। उनकी समस्याओं के समाधान के प्रयास भी बेहतर होंगे। जल्द ही संस्थानों की जांच के दिशा- टीम गठन कर काम शुरू करवा दिया जाएगा। निदेशालय में लापरवाही मिलने पर संबंधितों के जांच रिपोर्ट भेजने से पहले शिक्षा के लिए भी मुश्किल होगी।
– सीमा शर्मा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक
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Source: Jodhpur