सीमावर्ती क्षेत्र के लिए साधारण रेलगाड़ी किसी लाइफलाइन से कम नहीं हैं। बढ़ती महंगाई के बीच मुनाबाव से जोधपुर 300 किमी तक महज 115 रुपए किराया आम आदमी के लिए सस्ता एवं सुगम साधन हैं। वहीं बॉर्डर के आखिरी गांवों को 150 किमी दूर बाड़मेर जिला मुख्यालय तक सफर को सुविधा जनक बनाती है। बुजुर्ग, महिला एवं रोगियों के आने-जाने वालों के लिए यह ट्रेन लाइफलाइन है। ऐसे में इस मार्ग पर दूसरे रेल फेरे की मांग वर्षों से की जा रही हैं।
बीएसएफ जवानों के लिए भी उपयोगी
सामरिक दृष्टि द्यह्य महत्वपूर्ण बॉर्डर एरिया में सीमा पर तैनात सेना, बीएसएफ जवानों के लिए यह रेलगाड़ी बहुउपयोगी सेवाएं प्रदान करती है। लेकिन एक फेरा होने से जवानों को दोपहर बाड़मेर पहुंचने के बाद शाम को वापसी बस से करनी पड़ती है जो देर रात्रि पहुंचाती है। वहीं, कई बार हेडक्वॉर्टर के जरूरी कार्य पूरे नहीं हो पाते हैं। इसलिए सुबह बाड़मेर जाकर शाम को वापसी की रेल जवानों के लिए भी जरूरी हैं।
75 वर्षो से एकमात्र रेल का संचालन
आजादी के बाद से इस ट्रैक पर एकमात्र साधारण रेल चल रही हैं। अभी यह रेल बाड़मेर से सुबह 7.30 बजे रवाना होकर 9.30 मुनाबाव पहुंचती है और दस बजे वापस चली जाती है। इसके बाद इस मार्ग पर कोई रेल सुविधा उपलब्ध नहीं है। इतना लम्बा मार्ग पूरा दिन सूना रहता है।
क्षेत्र में हुआ काफी विकास
आजादी के 75 वर्षों बाद सीमावर्ती क्षेत्र का काफी विकास हुआ है। गडरारोड, रामसर उपखण्ड, तहसील व पंचायत समिति मुख्यालय बन गए हैं। 70 से अधिक ग्राम पंचायतों एवं लगभग 250 गांवों वाले सीमावर्ती क्षेत्र में हजारों से लाखों में आबादी का विस्तार हुआ है। लेकिन रेल सुविधाओं को लेकर यह क्षेत्र आज भी अकाल झेल रहा है और 1947 की स्थिति में खड़ा है।
जनप्रतिनिधियों की उदासीनता
क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण कभी रेल सुविधाओं का विस्तार ही नहीं हो पाया। लम्बी दूरी की रेल तो छोडि़ए साधारण रेल का दूसरा फेरा भी अब तक नहीं हो पाया है।
सांसद कैलाश चौधरी लगातार आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन रेल का दूसरा फेरा शुरू नही हो पाया है। सांसद आश्वासन से काम चला रहे हैं। कब तक इंतजार करना पड़ेगा। अब तो रेल चला दो। हम लोग वर्षों से दूसरे फेरे की मांग कर रहे हैं कई बार ज्ञापन दे चुके हैं। ग्रामीणों को जल्दी राहत प्रदान करें। – करमचंद खत्री, ग्रामीण रामसर
प्रतिवर्ष 9 सितंबर गडरारोड रेलवे शहीद मेले में रेल सुविधाओं के विस्तार की मांग कर रहे हैं। जीएम से लेकर डीआरएम यहां श्रद्धांजलि देने पंहुचते हैं। 2019 में स्थानीय सांसद भी मेले में बतौर मुख्य अतिथि रह चुके हैं। शायद हमारी मांग सरकार तक पहुंच ही नहीं रही हैं। – गोविंदराम मेघवाल, स्थानीय निवासी
Source: Barmer News