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Unique marriage in Jodhpur : राजपूत समाज टीका-दहेज की कुरीति को मिटाते हुए शिक्षा कोष में सहयोग की अनूठी परम्परा का निर्वाह कर रहा है। स्वरुप सिंह राठौड़ अपने पुत्र कुलदीपसिंह की बारात लेकर मूलसिंह इन्दा भीकमकोर की पुत्री छैलू कंवर से शादी के लिए पहुंचे।

शिक्षा कोष में जमा कराए रुपए
जहां दूल्हे के पिता स्वरुपसिंह मणाई ने टीका नहीं लिया। इस अवसर पर दुल्हन के पिता मूलसिंह इन्दा भीकमकोर ने 51 हजार रुपए महाराजा गजसिंह शिक्षण संस्थान ओसियां में शिक्षा कोष में वार्डन नागेश्वर सिंह बारा को सहयोग राशि भेंट की। इस अवसर पर कानसिंह, नरेंद्रसिंह, मोहनसिंह बाला ओसियां, जोरावर सिंह आदि मौजूद थे। महाराजा गजसिंह शिक्षण संस्थान ओसियां के अध्यक्ष गोपालसिंह भलासरिया ने बताया कि राजपूत समाज में नई जागृति लाने के लिए टीका-दहेज आदि कुरीतियों को मिटाते हुए समाज के शिक्षा कोष में शिक्षा नेग के नाम से सहयोग के लिए पहल की है। समाज बंधु पिछले 3-4 वर्षो से लगातार इस पहल में अपना सहयोग कर रहे हैं।

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टीके में लिया नारियल
गौरतलब है कि इससे पहले जालोर के चितलवाना क्षेत्र के सांगड़वा गांव में हुई एक सगाई में अनोखी मिशाल पेश की गई थी। सांगड़वा निवासी डॉ. परबतसिंह पुत्र ईश्वरसिंह चौहान ने टीका दस्तूर की राशि व आभूषण वापस लौटाकर समाज में एक नई मिशाल पेश की थी। उन्होंने एक टीका के रुप में एक रुपया व नारियल लिया था। डॉ. परबतसिंह पुत्र ईश्वरसिंह चौहान के पुत्र की सगाई हुकमसिंह सोढा गोकुल बीकानेर हाल बालोतरा के वहां हुई थी। टीका दस्तूर में 11 लाख 21 हजार की राशि व आभूषण लौटाकर के डॉ. परबतसिंह ने कहा कन्यादान ही सबसे बड़ा धन है। इससे ज्यादा कोई धन नहीं होता है।

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Source: Jodhpur

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